भारत में ही ब्याज रहित इस्लामिक बैंकिग की जिद्द क्यों? डॉ. विवेक आर्य

फ्यूचर लाइन टाईम्स, डॉक्टर विवेक आर्य । विचार : इस्लामिक बैंकिग और भारत, भारत में मुस्लिम कह रहे हैं कि इस्लाम में ब्याज देना और ब्याज लेना हराम है. इसलिए हम यहाँ ब्याज रहित इस्लामिक बैंकिंग सिस्टम लाएंगे. प्रसिद्द लेखक अरुण शौरी ने एक पुस्तक लिखी है जिसका नाम है The World of Fatwas or The shariah in Action.इसका हिंदी अनुवाद वाणी प्रकाशन, दिल्ली से "फ़तवे, उलेमा और उनकी दुनिया" के नाम से प्रकाशित हुआ था। इस पुस्तक में पिछले 100 वर्षों में विभिन्न मुस्लिम संस्थानों से मौलवियों द्वारा दिए गए विभिन्न फतवों को विषयानुसार समीक्षात्मक दृष्टि से परखा गया हैं। आपको अनेक मुसलमान यह कहते मिलेंगे कि इस्लाम में सूदखोरी हराम है। क़ुरान के बाद मुसलमान जितनी श्रद्धा पैगम्बर साहिब के आखिरी ख़ुत्बे (धर्मोपदेश) से रखते हैं, उतनी किसी और दस्तावेज़ के प्रति नहीं। अपनी इन आखिरी नसीहतों में पैगम्बर साहिब ने दोहराया था, "सब किस्म की सूदखोरी को गैरकानूनी घोषित किया जाता है..... अल्लाह का यह फ़रमान है कि सूदखोरी हराम है।" अरुण शौरी अपनी पुस्तक के पृष्ठ 341 पर इस्लाम में सूदखोरी की समीक्षा करते ह