हर रोज दिवाली आती है--! हर रोज दशहरा आता है --!!

फ्यूचर लाइन टाईम्स

हर रोज दिवाली आती है--!

हर रोज दशहरा आता है --!!

कुछ  पुतले फूंके जाते हैं l

कुछ दीप जलाए जाते हैं --!!

और खुशी मना ली जाती है------!!!!!

पढ़ते लिखते हैं रामायण !!

नहीं बने राम के पावन है --!!!

जो रावण को जलता देख रहे इनमें भी लाखों रावण हैं ---!!!

केकई को बुरा भला कह कर बस  इति समझ ली जाती है --!!!

हर रोज दिवाली आती है !!

रोज दशहरा आता है--!!

कुछ पुतले फूंके जाते हैं !!

कुछ दीप जलाए जाते हैं --!!

और खुशी मना ली जाती है--!!

जिस सर से साड़ी के खीसखाने ने कभी महाभारत रचवा डालें थे ---!!

आज के युग में चुनरी कंधे पर डाली जाती है !!

और शर्म छुपा ली जाती है--!!!

हर रोज दशहरा आता है हर रोज दिवाली आती है कुछ  पुतले फुके जाते हैं कुछ दीप जलाए जाते हैं!!

और खुशी मना ली जाती है  ---!!!

स्वयं आत्मचिंतन कीजिए--!!

तथा अज्ञानता से ज्ञान की ओर --!!

अंधकार से प्रकाश की ओर आने का प्रयत्न कीजिए---!!!


आप सभी को पावन पर्व विजयदशमी दशहरा की ढेरों बधाइयां एवं हार्दिक शुभकामनाएं !


 प्रेषक : पी.एस. लोहिया, लक्सर हरिद्वार

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