मैं अकेला कहां हूं : राजेश बैरागी

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


सड़कों पर भीड़ बढ़ रही है।लोग पैदल अपने दूरदराज और दूसरे प्रदेशों में स्थित घरों के लिए जा रहे हैं। मैं अकेला उनकी क्या मदद कर सकता हूं? मैं मोटरसाइकिल पर चलता हूं। रास्ते में हाथ देने और न देने वाले किसी एक व्यक्ति को कुछ दूर तो ले ही जाता हूं। नोएडा एनएसइजेड के आगे एक वैन में कुछ लोग आये और पैदल जा रहे लोगों को बिस्कुट, पूरी सब्जी बांटने लगे। थोड़ा आगे बढ़ा तो ग्रेटर नोएडा के कुलेसरा हल्द्वानी मोड़ पर कुछ लोग केले, पानी की बोतल, बिस्कुट बांटते मिले।सुथ्याना के निकट 221वीं वाहिनी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान बिरयानी और बिस्कुट बांट रहे थे।कल उन्होंने पूरी सब्जी बांटी थी।ये जवान सामने से गुजर रहे लोगों से खाना लेने के लिए कुछ इस प्रकार इसरार कर रहे थे,-ले ले बाबू,खा ले। उन्होंने अपने संगठन का बोर्ड भी नहीं लगाया हुआ था। सूरजपुर घंटा चौक पर एक युवक चाय और बिस्कुट लेकर खड़ा था। उसके पास भीड़ थी और वह नजरें झुकाए बगैर चेहरा पहचाने सेवा में लगा था। एक पानी बेचने वाला छोटे हाथी में शुद्ध पानी की टंकी लेकर मौजूद था।वह आज पानी बेच नहीं रहा था, वह पानी बांट रहा था।दिल को सुखद अहसास हुआ तो आंखें गीली हो गयीं।इन स्वयंसेवियों का धर्म पता किया तो पता चला कि विपत्ति की इस घड़ी में मानव सेवा ही उनका धर्म है।


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