योगाभ्यास विधि योग वाटिका II : आसन 29 शीर्ष आसन

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


शीर्षासन अत्यन्त उपयोगी, सर्वश्रेष्ठ आसन हैं परन्तु यहाँ विस्तार से इसके करने की विधि को नहीं बताया जा सकता क्यों कि इसे दर्शाने के लिए कई चित्रों को प्रस्तुत करना पड़ेगा जो स्थान के अभाव के कारण सम्भव नहीं। हम यहां केवल शीर्षासन के महत्त्व को इंगित करेंगे। पाठकों से अनुरोध है कि वे किसी योगासन विशेषज्ञ से इस आसन को  सीख कर अवश्य करें।


शीर्षासन की उपयोगिता विज्ञान भी मानता है जिसे Inversion Therapy (विपरीतिकरण उपचार) कहते हैं। लगभग 2400 वर्ष पूर्व युनान (Greece) के दार्शनिक/ वैद्य हिपोक्रिटीस (Hippocrates) ने शीर्षासन का उपचार के तौर पर उपयोग किया। रोगी को सीढ़ी पर उलटा लटका कर बांध दिया जाता था जिससे रोगी को कई रोगों से मुक्ति मिलती थी।


आधुनिक युग में, सन् 1960 में, अमेरिका के डॉ. राबर्ट मार्टन ने इन्वर्शन थैरेपी को प्रचलित किया। यहाँ तक कि अमेरिका की सेना में भी इस पद्धति का प्रयोग किया जाता है। इन्वर्शन थैरेपी में पैर बांध कर उलटा लटका दिया जाता है। वैज्ञानिकों का मत है कि इससे मस्तिष्क में रक्त का प्रचुर संचार होता है और शक्ति - प्रवाह (Flow of Energy) को कुछ क्षणों के लिये उलट दिया जाता है जो स्वास्थ्य के लिये लाभप्रद है। 


स्पष्टतः इन्वर्शन थैरेपी शीर्षासन का रूपान्तर है। 
शीर्षासन से शीर्ष में रक्त का संचार अधिक मात्रा में होने के कारण, दिमाग की नसों तथा सिर के अन्य भागों में शक्ति संचार होता है। इस आसन से स्मृति (Memory) तेज़ होती है; आंखों की नज़र तेज़ होती है; बधिरता (Deafness) दूर होती है तथा स्नायु तंत्र (Nervous System) सम्बन्धी सभी रोग दूर होते हैं।


उच्च रक्तचाप एवं मिर्गी (Epilepsy) के रोगी शीर्ष आसन मत करे।


पुनः आग्रह है कि किसी योगासन विशेषज्ञ से शीर्षासन सीख कर इसे अवश्य करें। जो व्यक्ति शीर्षासन न कर सकें, वे सर्वाङ्ग आसन अवश्य करें जिसके लाभ लगभग उतने ही हैं जितने शीर्षासन के हैं।


मानसिक तौर पर उपरोक्त अंगों पर दृष्टिपात करते हुए, चित्रित (visualise) करें कि ये सब अङ्ग स्वस्थ हो रहे हैं।


आस्तिक प्रवृत्ति के साधक ईश्वर से प्रार्थना कर सकते हैं :


ओ३म् अग्ने यन्मे तन्वा sऊनम् तन्म आपृण।
        -- यजुर्वेद 3.17
 
हे प्रभो! मेरे शरीर में जो त्रुटियां/ कमज़ोरियां है, उन्हें दूर करो ।


Post a Comment

0 Comments