क्या ये सौदा है ? राजेश बैरागी

फ्यूचर लाइन टाईम्स 



तो सूची पढ़ी जाने लगी।लग्न-सगाई की रस्म दहेज के सामान की सूची सुनाकर संपन्न होती है।उस समय महिलाओं के मंगल गीतों,ढोल-नगाड़ों और समारोह में शामिल रिश्तेदारों की आपसी बातचीत पर भी रोक लगा दी जाती है ताकि सूची में लिखे एक एक सामान को स्पष्ट रूप से सुना और सुनाया जा सके। इस मौके पर केवल कुछ शरारती तत्व खुसर-पुसर के जरिए लेन-देन पर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया देने से बाज नहीं आते। सूची पढ़ी जा रही थी। एक लग्जरी कार से शुरू होकर कोई दर्जन भर तोला सोना आदि से होती हुई सूची समधिन की चांदी की चप्पलों तक आ पहुंची। सूची प्रवक्ता को बीच में पानी की आवश्यकता भी पड़ी।वर के पिता की मूंछें खुद ब खुद ऐंठ खाने लगीं। मैंने पूछा,-आपने लिया है या उन्होंने दिया है? पिता ने विजयी मुस्कान से मेरे प्रश्न को हवा में उड़ा दिया। मैं अब कन्या पक्ष से मुखातिब हुआ। प्रश्न वही था। कन्या के पिता ने कहा,-लड़का ठीक कमाता है, सौदा महंगा नहीं है।' मैंने सुना है कि शादियां आसमान में तय होती हैं। शादी विवाह जन्मों के रिश्ते होते हैं।मन और देह के मिलने को विवाह कहा जाता है। और यहां? सौदा खरीदा जा रहा है, सौदा बेचा जा रहा है। आमंत्रित लोगों के सीने पर सांप लौट रहे हैं। किसी की रुचि वर-कन्या में नहीं है।कार और करार की चर्चा चल रही है। उधर दोनों पक्ष सौदे की शर्तों का मिलान करने में व्यस्त हो गए हैं।


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