ब्रह्मचारी देव मूर्ति जी की श्रद्धांजलि सभा



मनोज तोमर ब्यूरो चीफ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतम बुद्ध नगर
गौतम बुद्ध नगर ब्रह्मचारी श्री देवमूर्ति जी का जीवन परिचय स्वामी देव मूर्ति जी का जन्म स्वामी देव मूर्ति जी का जन्म उत्तर प्रदेश राज्य के जनपद गौतम बुद्ध नगर की दादरी तहसील के ग्राम अकिलपुर जागीर में हुआ ब्रह्मचारी जी के बचपन का नाम खड़क सिंह था स्वामी देव मूर्ति जी ने ग्राम अकिलपुर जागीर में आर्य समाज की स्थापना की स्वामी जी एक महान देशभक्त एवं मार्गदर्शक थे जिन्होंने अपने कार्यों से समाज को नई दिशा एवं ऊर्जा दी कई वरिष्ठ वेदों के विद्वान तथा व्याकरण के विद्वान आचार्य देव मूर्ति जी के विचारों से प्रभावित थे स्वामी जी की प्रारंभिक शिक्षा प्राइमरी पाठशाला में पूरी कर श्री दयानंद उत्तर माध्यमिक विद्यालय बंबावड़ में ग्रहण की उच्च शिक्षा के लिए देव मूर्ति जी गाजियाबाद चले गए वहां जाकर उन्होंने m.a. हिंदी तथा बैरिस्टर की शिक्षा प्राप्त की संघ लोक सेवा आयोग में परीक्षा में शामिल हुए और आईएएस की परीक्षा उत्तीर्ण की उसी समय ब्रह्मचारी देव मूर्ति जी राष्ट्रीय सेवक संघ के सदस्य बने तथा वहां पर देश भक्ति तथा आजीवन ब्रह्मचारी और हिंदी भाषा की प्रतिज्ञा ली और अपना जीवन राष्ट्रभक्ति तथा वैदिक सभ्यता के लिए न्योछावर कर दिया उन्हीं दिनों स्वामी जी का आईएएस की परीक्षा परिणाम आया और उन्हें साक्षात्कार के लिए बुलाया गया स्वामी जी साक्षात्कार के लिए परीक्षा स्थल पर गए और अपना साक्षात्कार दिया वहां बैठे हुए अधिकारी अंग्रेजी में प्रशन कर रहे थे पर स्वामी जी हिंदी में उन प्रश्नों का जवाब बड़ी तल्लीनता के साथ दे रहे थे संघ लोक सेवा आयोग के अधिकारी ने स्वामी जी से कहा कि आप अंग्रेजी में अपना भाषण दीजिए स्वामी जी ने उत्तर दिया हम हिंद देश के निवासी हैं हिंदी भारत की बिंदी है मैं अंग्रेजी ना पढ़ूगा और ना ही अपना अंग्रेजी में भाषण दूंगा इस बात को सुनकर अंग्रेजी अफसर देव मूर्ति जी का मुंह देखने लगे ब्रह्मचारी देव मूर्ति जी ने कहा अंग्रेजी भाषा को मैं चिमटे से छूना भी पसंद नहीं करता आप मुझे संघ लोक सेवा आयोग में मेरा चयन करें ना करें वह आपका विवेक है पर मैं अपनी प्रतिज्ञा पर अटल हूं स्वामी जी ने आईएएस की परीक्षा को त्याग दिया जबकि अधिकारियों ने 2 वर्ष तक देव मूर्ति जी का इंतजार किया और नौकरी को होल्ड पर लगा दिया स्वामी जी के अंदर वैदिक प्रचार प्रसार की ज्वाला फूट रही थी देव मूर्ति जी आईएएस की परीक्षा आईएएस की नौकरी छोड़कर पंजाब चले गए वहां पर वेदों का उपनिषदों का गहन अध्ययन कर वैदिक धर्म में विश्वास रखने लगे उन्होंने राष्ट्र में व्याप्त कुर्तियों एवं अंधविश्वास का सदैव विरोध किया ब्रह्मचारी देव मूर्ति जी एक कर्म योगी थे जिन्होंने समाज को नई दिशा एवं वैदिक ज्ञान का महत्व समझाया स्वामी जी कर्म और कर्मों का फल एक जीवन के मूल सिद्धांत बता देते थे कर्म में विश्वास रखते थे वह किसी भी धर्म को बड़ा नहीं मानते थे वह हमेशा कहते थे कि धर्म के मर्म को कर्म से जानते हैं स्वामी जी एक महान विचारक थे उनके पास में दिव्य शक्ति थी वह किसी भी व्यक्ति के बारे में भूत भविष्य और वर्तमान जीवन शैली का परिचय बता दिया करते थे कब किसका जन्म होगा कब किसकी मृत्यु होगी और मृत्यु का कारण क्या होगा उन्हें पूरा ज्ञान था स्वामी जी को पंजाब में उनकी आस्था धर्म के प्रति सच्ची निष्ठा और वैदिक विचारों से ओतप्रोत देखकर पंजाब आश्रम का महंत बनाने की प्रस्ताव रखा स्वामी जी ने प्रस्ताव को ठुकरा दिया और कहा कि मैं मुझे किसी भी गद्दी का महंत नहीं बनना है मेरा जन्म केवल वैदिक प्रचार प्रसार के लिए हुआ है तथा देश प्रेम के लिए मेरा जीवन हुआ है स्वामी जी पंजाब से गाजियाबाद आए और गाजियाबाद से फिर मथुरा चले गए मथुरा में वैदिक प्रचार प्रसार किया तथा पाखंड को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए कार्य करने लगे उनके कार्य को देखते हुए मथुरा वृंदावन के प्रबंध समिति ने स्वामी जी को आश्रम की व्यवस्था एवं गद्दी का मालिक बनाना चाहा उसी समय स्वामी जी ने प्रस्ताव को ठुकरा दिया और कहा मैं किसी गद्दी का मालिक और महंत नहीं बनना चाहता उन्हीं दिनों ब्रह्मचारी देव मूर्ति जी को  मथुरा में खीर में ज़हर दे दिया  और स्वामी जी बीमार रहने लगे उन्हीं दिनों  उनके पिताजी बीमार हो गए तब उनकी माताजी यह समाचार लेकर मथुरा गई तो पिताजी की बीमारी का समाचार सुनकर उन्होंने माता जी से कहा मैं घर पर रहकर नहीं बल्कि आश्रम में रहकर पिताजी की सेवा करूंगा और स्वामी जी अपनी बात पर अडिग रहे लेकिन घर पर नहीं रहे स्वामी जी  की विद्वता को देखकर ग्राम अकिलपुर जागीर के कुछ सम्मानित लोग उन्हें गांव में लेकर आ गए जिससे गांव में काफी लोगों में सुधार आया तथा वैदिक प्रचार प्रसार को बढ़ावा भी मिला देव मूर्ति जी ने क्षेत्रीय यज्ञ प्रचार समिति का गठन किया जो आज तक भी क्षेत्र में याद करा रही है स्वामी जी ने अपनी पैतृक जमीन में महर्षि दयानंद परोपकारी आश्रम का निर्माण कराया जिससे वैदिक प्रचार प्रसार के लिए भविष्य में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते रहे और वैदिक प्रचार प्रसार के लिए भवन का उपयोग होता रहे स्वामी जी कहते थे महर्षि दयानंद परोपकारी आश्रम मेरी याद दिलाता रहेगा ब्रह्मचारी देव मूर्ति जी जैसे परम विद्वान साधारण का सौम्यता सरलता और अनुशासन की प्रेरणा सदैव हमें उनकी याद दिलाती रहेगी चाणक्य उर्फ शीतल यज्ञ वेदी पर रहे इस मौके पर ब्रह्मचारी देव मूर्ति जी की श्रद्धांजलि सभा में लोनी विधायक मदन भैया एवं यज्ञ के ब्रह्मा श्री विक्रम देव शास्त्री जी चौधरी चरणसिंह भारत राष्ट्रीय सेवक संघ के अध्यक्ष प्रोफेसर विनोद नागर ने मंच का संचालन किया सभा की अध्यक्षता श्री रामेश्वर सरपंच ने की देव मुनि   साध्वी दीदी हर्ष सिद्धी गिरी व क्षेत्र के सम्मानित गणमान्य लोग उपस्थित रहे

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