खेकड़ा की कैप्टन नीरा आर्या, देशभक्ति की अनुपम मिसाल।मनोज धामा

देश की आजादी की खातिर इस महान महिला ने अपने पति तक को उतार दिया था मौत के घाट।
अंग्रेजी साम्राज्य ने बर्बता की हदों को पार करते हुए काट दिये थे इनके स्तन, लेकिन नीरा से कोई जानकारी उगलवा नही पायी।
 मनोज धामा फोटो
बागपत संवाददाता विवेक जैन।
बागपत की धरती ने देश को आजाद कराने के लिये अनेकों कुर्बानियां दी है। इसी में एक नाम आता है खेकड़ा निवासी आजाद हिंद फौज रानी झांसी रेजिमेंट की कैप्टन नीरा आर्या का। वह देशभक्ति की अनुपम मिसाल थी। उनकी पुण्य तिथि सप्ताह पर उनको जनपद भर में नमन किया जा रहा है। प्रसिद्ध समाजसेवी मनोज धामा ने बताया कि नीरा आर्या का जन्म 5 मार्च 1902 को बागपत के खेकड़ा में हुआ था। इनके पिता खेकड़ा में एक प्रसिद्ध व्यापारी थे। जो बाद में परिवार सहित कलकत्ता चले गये थे। इन्होंने अपनी पढ़ाई कलकत्ता से ही की। अंग्रेजी साम्राज्य के सीआईडी इंस्पेक्टर श्रीकांत जयरंजन दास के साथ इनका विवाह हुआ। बागपत के जाने माने रेसलर सोमेन्द्र उर्फ सोनू ने बताया कि नीरा आर्या आजाद हिंद फौज की पहली महिला जासूस थी। यह बात उनके परिवार तक में कोई भी नही जानता था। जब उनके पति श्रीकांत जयरंजन दास ने अंग्रेजों की डयूटी करते हुए नेताजी सुभाष चंद्र बोस को जान से मारने का प्रयास किया, उस समय नीरा आर्या ने नेताजी को बचाने और देशहित में अपने पति की हत्या कर दी थी। प्रसिद्ध समाजसेवी मनुपाल बंसल ने बताया कि इस साहसी महिला ने देश की आजादी की खातिर अपने पति तक को मौत के घाट उतार दिया था। नीरा आर्या ने देश की खातिर जितने दुख-दर्द सहे है, उसकी कल्पना करने मात्र से शरीर का रूह-रूह तक कांप जाता है। समाजसेवी देवेन्द्र प्रमुख घिटौरा ने बताया कि अंग्रेजी साम्राज्य ने बर्बता की हदों को पार करते हुए नीरा आर्या के स्तन तक काट दिये थे, लेकिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज के बारे में कोई भी जानकारी उगलवा तक नही पायी। 26 जुलाई 1998 को नीरा आर्या ने अन्तिम सांसे ली। कहा कि नीरा आर्या जैसी शख्शियत सदियों में एक बार जन्म लेती है।

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