स्वामी चक्रपाणि ने कृषि कानून को 1 वर्ष के लिए स्थगित करने और राज्यों को बिल लागू करने ना करने के अधिकार देने के संबंध में प्रधानमंत्री को लिखा पत्र।

फ्यूचर लाइन टाईम्स, रामा नन्द तिवारी संवाददाता दिल्ली ।

दिल्ली : अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री भारत सरकार नई दिल्ली को पत्र लिखकर मांग की है कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए संसद से बने कृषि कानून को 1 वर्ष के लिए स्थगित करने और उसके बाद राज्यों को लागू करने ना करने के अधिकार देने के संबंध में पत्र लिखा ओर कहा कि जैसा की वर्तमान परिस्थितियों में देश जहां कोरोना के कारण प्रभावित हुए उद्योग धंधे तथा भयंकर बेरोजगारी लोगों में हताशा निराशा भरा हुआ है दूसरी तरफ सीमाओं पर चीन और पाकिस्तान के द्वारा बराबर तनाव बना हुआ है जिस कारण देश घरेलू व बाहरी चुनौतियों का सामना कर रहा है वह सर्वविदित है इन परिस्थितियों में संसद के द्वारा आपके सरकार के अनुसार किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए कृषि कानून पास किया गया जिसको लेकर पक्ष और विपक्ष दोनों प्रकार के विचारधारा सामने आ रहे हैं प्रदर्शन कर रहे किसानों का यह मानना है कि कृषि कानून किसानों के लाभ हेतु नहीं बल्कि यह अडानी अंबानी आदि उद्योगपतियों के लाभ के लिए कानून बनाया गया है देश के किसान हमारे अन्नदाता है उनके द्वारा संवैधानिक दायरे में विरोध प्रदर्शन लोकतंत्र के लिए अच्छा भी है और उनका अधिकार भी है लेकिन जिस तरीके से दिल्ली के चारों तरफ इस कड़ाके की ठंड मे किसानों का धरना काफी समय से चल रहा है जिसमें करीबन 60 से ऊपर किसान अपनी जान गवा चुके हैं एक संत ने भी किसानों की स्थिति को देखे कर अपने को गोली मार कर अपने को खत्म कर लिया , यह सब हदय को द्रवित मर्माहत करने वाला है , इसलिए उनके सुरक्षा के प्रति भी सरकार की जिम्मेदारी और धर्म है तथा कोई भी कानून जिसके लिए ही बनाई गई है यदि वह संतुष्ट नहीं है तो चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार का यह कर्तव्य धर्म बनता है की उस पर पुनर्विचार करें , कानून लोगों के लिए होता है ना कि लोग कानून के लिए होते हैं इसलिए जनहित में राष्ट्रहित में तथा वर्तमान देश की राजधानी समेत पूरे देश में तनाव और परिस्थितियों को देखते हमारा यह मानना है और आपसे निवेदन भी है कि आप और आपकी सरकार अपनी उदारता और बड़प्पन दिखाते हुए एक प्रधान सेवक की भूमिका की निर्वहन करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर कृषि कानून बिल को तत्काल कम से कम 1 वर्ष के लिए स्थगित कर दे और उसके बाद प्रदेश सरकारों को यह अधिकार दे कि जो प्रदेश सरकार इस बिल कानून को लागू करना चाहे वह लागू कर सकती है तथा जो प्रदेश अपने इस कानून को लागू करता है उसके किसानों के लाभ हानि व अनुभव के आधार पर पुनः कृषि कानून लागू करने या निरस्त करने की घोषणा आपके सरकार द्वारा किया जाए यही सरकार , किसान व संपूर्ण राष्ट्र के हित में होगा। 

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