नई दिल्ली। अखिल भारत हिंदू महासभा एवं संत महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज ने मौलाना शहाबुद्दीन द्वारा फतवा जारी किए जाने को लेकर कड़ा विरोध जताया है। स्वामी चक्रपाणि महाराज ने कहा कि किसी भी मौलाना को इस प्रकार फतवा जारी करने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है और ऐसे बयान देश की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में तिथि निर्धारण की एक समृद्ध परंपरा रही है, जिसमें विक्रम संवत और शक संवत के अनुसार पर्व-त्योहारों एवं धार्मिक अवसरों की तिथियां तय की जाती हैं। इसी को लेकर उनकी संस्था ने केंद्र सरकार से मांग की है कि देश में एक स्पष्ट और पारदर्शी प्रणाली अपनाई जाए, ताकि भ्रम की स्थिति न बने। स्वामी चक्रपाणि महाराज ने कहा कि यदि इस विषय पर कोई सहमति बनती है तो सभी समुदायों को संवाद के माध्यम से आगे आना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक मामलों में राजनीति या दबाव की प्रवृत्ति समाज में वैमनस्य पैदा करती है, जिससे बचना आवश्यक है। स्वामी चक्रपाणि महाराज ने जोर देकर कहा कि भारत की सांस्कृतिक परंपराओं और संवैधानिक ढांचे का सम्मान सभी को करना चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए स्वामी चक्रपाणि महाराज ने कहा कि बांग्लादेश में आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि वहां अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने की वकालत करते हुए कहा कि शांति और सुरक्षा के बिना किसी भी समाज का विकास संभव नहीं है।
अपने वक्तव्य के अंत में स्वामी चक्रपाणि महाराज ने देश में आपसी सद्भाव, कानून के शासन और राष्ट्रीय एकता को सर्वोपरि बताते हुए सरकार से ठोस नीतिगत निर्णय लेने की अपील की।
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