धान की फसल में Southern Rice Black- Streaked Dwarf Virus के प्रकोप के दृष्टिगत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने कि एडवाइजरी जारी।

मनोज तोमर ब्यूरो चीफ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतम बुद्ध नगर।
गौतम बुद्ध नगर। पंजाब, हरियाणा एवं उत्तराखण्ड के कतिपय जनपदों में धान की फसल में Southern Rice Black- Streaked Dwarf Virus (SRBSDV) के प्रकोप के दृष्टिगत एडवाइजरी जारी।
जिला कृषि अधिकारी गौतम बुद्ध नगर विनोद कुमार ने जनपद के समस्त कृषिकों का आह्वान करते हुए जानकारी दी है कि केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केन्द्र जालंधर एवं देहरादून तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा पंजाब के रोपर, होशियारपुर, पठानकोट, गुरूदासपुर. एस. बी. एस. नगर, एस. ए.एस. नगर, फतेहगढ़ साहब, पटियाल, लुधियाना, जालंधर एवं उत्तराखण्ड के देहरादून, हरिद्वार तथा हरियाणा के पानीपत जनपद में किये गए संयुक्त सर्वेक्षण, जिसके द्वारा अवगत कराया गया है कि पंजाब, हरियाणा एवं उत्तराखण्ड के कतिपय जनपदों में धान की फसल की बौने (Stunting of plant) हो जाते है, जिसका परीक्षण एवं शोध के उपरांत Southern Rice Black Strenked Dwarf Virus (SRBSDV) का प्रकोप पाया गया है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के सीमावर्ती जनपदों में इसके प्रकोप की आशंका के दृष्टिगत सघन निगरानी की आवश्यकता है, जिसके क्रम में भारत सरकार द्वारा जारी सुझाव एवं संस्कृतियां बिंदुवार दी गई है।
 प्रकोप के लक्षण-
• पौधे की प्रारंभिक अवस्था में अत्याधिक प्रकोप की संभावना होती है।
• प्रकोपित पौधे बौने हो जाते है।
• प्रकोपित पौधे की पत्तिया गहरे हरे रंग की होती है।
• प्रकोपित कल्ले मुरझाने लगते हैं।
• जड़ों का विकास रुक जाता है एवं धीरे-धीरे भूरे रंग में बदल जाती है, जिससे प्रभावित कल्ले खीचने पर आसानी से उखड़ जाते है।
• प्रकोपित पौधे के शीथ पर काली धारिया बनती है।
• बालियों में दाने कम बनते है अथवा नहीं बनते।
• इसका प्रकोप एकल अथवा 4-8 पौधों के समूह में होता है।
• इस वायरस (Fijivirus) का वाहक कीट सफेद पीठवाला फुदका(WBPH)-Sogatella furcifera होता है।
• इस वायरस का प्रकोप धान की 12 विभिन्न प्रजातियों यथा PB1962, 1718, 1121, 1509, 1847, PR114, 136, 130, 131 एवं Pioneer Hybird, Swift Gold (Bayer) और CSR30 में देखा गया है।नियंत्रण के उपाय-
• नर्सरी के प्रकोपित पौध को रोपित नहीं करना चाहिए।
• प्रकोपित पौध को उखाड़कर दूर मिटटी में गहरा दबा देना चाहिए।
• खेत के चारों ओर मेड़ों के खतपतवारों को निकाल कर सफाई करनी चाहिए।
• जमीन के पास सफेद पीठवाला फुदका (WBPH) के प्रकोप दिखाई देने वाले खेतों की साप्ताहिक रूप से गहन निगरानी करनी चाहिए।
• खेत में 3-20% प्रकोपित पौध दिखाई देने पर उसे उखाडकर उसके स्थान पर स्वस्थ पौध का रोपड़ करना चाहिए।
• प्रकोप से बचाव हेतु सफेद पीठवाला फुदका (WBPH) के नियंत्रण हेतु बुप्रोफेजिन 25% एस.सी. 800 एम.एल. अथवा एसिटामिप्रिड 20% एस.पी. 100 ग्राम अथवा डिनोटेफ्यूरान 20% एस. जी. 150-200 ग्राम अथवा फ्लोनिकामिड 50% डब्लू.जी. 150 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए। 

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