संकट में गोवर्धन बाबा सब के सहयोगी - रवी कृष्ण भारद्वाज


मनोज तोमर ब्यूरो चीफ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतम बुद्ध नगर
गौतम बुद्ध नगर (ग्रेटर नोएडा)- रानी सती परिवार दनकौर के सौजन्य से ग्रेटर नोएडा के अल्फा वन में कथा व्यास रवि कृष्ण भारद्वाज द्वारा जारी भागवत कथा के दौरान गुरुवार को गोवर्धन पूजा का वर्णन किया गया इस दौरान रवी कृष्ण भारद्वाज ने बताया कि संकट में गोवर्धन पर्वत सभी का सहयोगी हैं उन्होंने बताया कि गोवर्धन पर्वत जब त्रेता युग को तरस रहा था, तो श्री राम ने समुद्र सेतु  (पुल)  बनवाया इसके लिए राम जी ने सभी वानरों को आदेशित किया कि वे सभी पत्थर लेकर आएं हनुमान इस पर्वत रूपी पत्थर को लेकर ब्रजभूमि में आए तो उस समय तक पुल बन चुका था। इसलिए श्री राम ने कहा कि अब पुल बन चुका है जहां जहां पत्थर हैं उन्हें वहीं छोड़ दो जब हनुमान जी पत्थर को बीच में छोड़ने लगे तो पत्थर हनुमान जी से बोला कि आपने मुझे ना घर का छोड़ा और ना घाट का छोड़ा। भारद्वाज जी ने आगे बताया कि कहने का तात्पर्य था, कि पत्थर ना तो घर का रहा और ना ही पुल में लगा जिस पुल पर श्री राम उतर कर जाते और राम जी के चरण पड़ते हनुमान जी आपने तो मुझे प्रभु राम के चरणों का भी नहीं छोड़ा तब श्रीराम ने कहा कि जब मैं रावण शत्रु का विनाश कर के वापस अयोध्या आऊंगा तब मैं आपकी पूजा कराऊंगा इस पर यह पर्वत संतुष्ट नहीं हुआ तो रामजी ने कहा कि मैं द्वापर युग में कृष्ण अवतार लूंगा तब तुम्हारी पूजा करूंगा और कराऊंगा। द्वापर युग में श्री राम ने कृष्ण अवतार लिया, इंद्र ने जब रौद्र रूप धारण कर तबाही मचा दी तो कृष्ण ने इस पर्वत को उंगली पर उठा लिया और सभी ने इस पर्वत के नीचे आकर अपनी जान बचाई। इस पर्वत के द्वारा सब की रक्षा करके श्री कृष्ण जी ने इंद्र का घमंड चूर कर दिया और तभी कृष्ण ने इस पर्वत की पूजा की, तभी से इस पर्वत का नाम गोवर्धन पर्वत पड़ा। तब से आज तक सभी इस गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करके पूजा करते हैं। रवि कृष्ण भारद्वाज ने बताया कि जब शत्रु का विनाश कर भगवान श्री राम दीपावली को अयोध्या वापस आए तभी से दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा प्रथा चली आ रही है।भागवत कथा में श्रीमती पुष्पा देवी, पवन गोयल, राजू गोयल, आदित्य गोयल, संध्या गोयल, सहर्ष गोयल, मोनू गुप्ता, मूलचंद प्रजापति, मुकेश गोयल, नीतू गर्ग, नरेश गोयल, राजीव सिंह आदि उपस्थित रहे।

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