स्मृतियां अलग-अलग समय और काल में बनती है। आलोक कुमार

मनोज तोमर ब्यूरो चीफ फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतम बुद्ध नगर।
ग्रेटर नोएडा/दिल्ली। स्मृतियां अलग-अलग समय और काल में बनती है ! वर्तमान की स्मृति है भारत का संविधान : आलोक कुमार।
विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्य अध्यक्ष आलोक कुमार ने श्री गुरु रविदास की 645 वीं जयंती समारोह के अवसर पर प्रबुद्धवर्ग को किया सम्बोधित, अवसर था ! श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ दिल्ली प्रांत एवं पीजीडीएवी (प्रातः) महाविद्यालय के तत्वावधान में श्री गुरु रविदास की 645 वीं जयंती के अवसर पर श्री गुरु रविदास प्रबुद्ध वर्ग द्वारा संत शिरोमणि गुरु रविदास जयंती उत्सव और सम्मान समारोह आयोजित किया गया ! इस समारोह में  विश्व हिंदू परिषद के कार्य अध्यक्ष आलोक कुमार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत सह कार्यवाह अनिल गुप्ता, कॉलेज की प्राचार्या प्रो. कृष्णा शर्मा, राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री दुष्यंत कुमार गौतम उपस्थित रहे !  कार्यक्रम में रविदास के जीवन पर आधारित प्रतियोगिताओं के पुरस्कार भी वितरित किए गए ! इन प्रतियोगिताओं में समूचे भारत से लगभग 700 लोगों ने भागीदारी की !
कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्वलन , सरस्वती वंदना और मोनिका किरण द्वारा प्रस्तुत गुरु जी की आरती से हुआ ! उसके उपरांत डॉ प्रकाश चन्द्र दिलारे ने महापीठ का परिचय और कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रस्तुत की ! उन्होंने बताया हमारा उद्देश्य समूचे भारत में गुरु जी के विचारों का प्रचार-प्रसार करना है ! उन्होंने कहा जल्दी ही हम गुरुजी से संबंधित पुस्तकें  प्रकाशित करने जा रहे हैं ! जिसमें सभी प्रबुद्ध जनों के लेख शामिल होंगे !
     कॉलेज की प्राचार्या प्रो. कृष्णा शर्मा जी ने सभी का स्वागत करते हुए कहा मध्यकालीन कविता में मेरी विशेष रूचि रही है ; क्योंकि इस काल के कवि भक्त ,त्यागी और समाज सुधारक थे ! इनका मूल उद्देश्य समाज सुधार था ! रविदास जी ने समाज में ऊंचा स्थान अपने कर्मों द्वारा प्राप्त किया ! इसलिए कार्य महत्वपूर्ण है ना की जाति ! उनकी भाषा और विचार जन सामान्य को प्रेरणा देते हैं ! मीराबाई ने इन्हें अपना गुरु बनाया ! रविदास साधारण साधक नहीं थे ! रामानंद जी के कबीर और रविदास जी दो विशेष शिष्य थे ! शिष्य अपने सुकर्मों द्वारा गुरु को समाज में ऊंचा स्थान दिलाने का कार्य भी करते हैं !
 प्रांत सह कार्यवाह अनिल ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा हमारे देश में धर्म , नियम और भक्ति को प्रमुखता देते हैं ! इनके प्रणेता हैं रविदास ! उन्होंने उस समय सांस्कृतिक आंदोलन की शुरुआत की जब देश गुलाम था ! उन्होंने सांस्कृतिक आंदोलन में भूमिका निभाते हुए बहुत बड़ा परिवर्तन किया ! रविदास के 1 श्लोक 40 पद गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित है और गुरुमुखी बोली उन्हीं की देन है ! वह राग और संगीत के मर्मज्ञ थे !
समारोह में राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री  दुष्यंत कुमार गौतम ने कहा आज का यह कार्यक्रम अद्भुत है ! हमें महापुरुषों की बारे में जानना , सोचना , चिंतन- मनन और अध्ययन करना चाहिए ! जब-जब संसार में अत्याचार बढ़ता है तो कोई न कोई महापुरुष जन्म अवश्य लेता है ! मध्य युग में रविदास जी ने अंधविश्वास और धर्म परिवर्तन को रोका ! उनका जीवन बेगमपुरा बनाने में लग गया ! बेगमपुरा का अर्थ है जहां कोई गम ना हो ! गौतम जी ने रविदास जी के परिवार के बारे में बताते  हुए कहा कि रविदास जी का पूरा जीवन भेदभाव,छुआछूत, जातिवाद को मिटाने में लग गया ! रविदास जी के 52 शिष्य थे और सारे अगड़ी जाति के थे ! रविदास जी से प्रेरित होकर बाबा साहब अंबेडकर जी ने बहुत बड़ा काम किया ! कोई भी महापुरुष तब तक महापुरुष नहीं बनता जब तक वह एकता और समरसता का पाठ नहीं पढ़ाएं ! 
 आलोक ने अपने वक्तव्य का आरंभ बाबा साहब अंबेडकर के विचारों से किया ! जाति भेदभाव को बाबा साहब के जीवन प्रसंगों और आंदोलनों के माध्यम से स्पष्ट किया ! उन्होंने बताया ब्राह्मण गुरु के नाम पर उनका उपनाम अंबेडकर हो गया ! अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा बाबा साहब ने संविधान की प्रस्तावना में समानता स्वतंत्रता और भाईचारे को अति महत्वपूर्ण स्थान दिया ! उस चंडाल का वर्णन भी किया जिसको गुरु मानकर स्वामी शंकराचार्य जी ने " नवने जाति भेदा " की रचना की ! कर्नाटक के भक्त कनकदास तमिलनाडु के नंदनार की भी चर्चा की ! विभिन्न उदाहरणों और कहानियों के माध्यम से गुरु रविदास की निर्गुण निराकार भक्ति को स्पष्ट किया ! रविदास के जीवन से हमें जाति प्रथा का निषेध , श्रम के प्रति निष्ठा , अनायास मिले धन के प्रति अनास्था , भगवान की भक्ति और श्रद्धा प्राप्त होती है ! उन्होंने कहा समाज के सभी वर्ग विशेष रूप से कमजोर वर्ग  कौशल ,शिक्षा ,स्वास्थ्य, व्यवसाय , उद्योग व व्यापार के क्षेत्र में बराबर साथ खड़े हो ! हम सभी को यह प्रयास करना चाहिए कि समाज का कोई भी तबका पीछे नहीं रह जाए ! मनुस्मृति के संदर्भ में कहा स्मृतियां अलग-अलग समय और काल में बनती है ! वर्तमान की स्मृति है भारत का संविधान ! उस पर हम सभी चलेंगे ! उसी में अपनी निष्ठा और विश्वास रखेंगे ! संविधान के विरोध में अगर कुछ कहा गया है तो उसका हम विरोध करेंगे ! रविदास जी हम सब के गुरु हैं और आदर्श भी हैं !
कार्यक्रम के अंत में  दिल्ली महापीठ के अध्यक्ष सुरजीत ने सभी का धन्यवाद किया ! कार्यक्रम में प्राध्यापक , सामाजिक कार्यकर्ता , वकील , शोधार्थी और  विद्यार्थियों की सैकड़ों की संख्या थी ! कार्यक्रम का  संचालन महापीठ के महामंत्री डॉ मनोज कुमार कैन ने किया !

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