दिल्ली की 1731 अवैध कालोनियों को मालिकाना हक, देश के 6.50 लाख गांव स्लम बस्ती बने ! रघुराज सिंह

विदेशी गांव के चित्र


फ्यूचर लाइन टाईम्स 


पिछले कई वर्षों से लगातार प्रयास कर रहा हूँ लोगो को जागरूक करने का  मगर कुछ दलाल किस्म के लोग मेरी इस योजना को राजनीति से जोड़ते आये है । मेरा आज उन्ही दलाल व्यक्तियों से और एनसीआर के सभी दलों के नेता,विधायक,सांसद,या अन्य जो भी दलों से सम्बंध रखने वाले लोग व किसान के नाम पर राजनीति करने वाले से कहना है कि जब भारत सरकार का शहरी विकास मंत्रालय दिल्ली की 1731 कालोनियों को मालिकाना हक,ट्रांसफर,मॉर्गेज राइट दिलाने के लिये गजट नोटिफिकेशन जारी कर सकता है अर्थात कब्जाई गैरकानूनी भूमि को ये सब सुविधा दी जा सकती है तो एनसीआर में आने वाले लगभग 8 हजार से अधिक गाँव है जो कि सदियों से बसे है कई कई पीढियां निकल गई उनके लिये ये सुविधा क्यो नही हो सकती,बल्कि देश के साढ़े 6 लाख गांवों में क्यो नही हो सकती ? अब तो समझ ही गये हो कि देश की राजनीतिक दलों के लोगो को सिर्फ गांव के लोगो की वोट चाहिये और कुछ नही । जैसे गुलामो की हैसियत होती है देश के ग्रामीणों की सरकार की नजर में इससे ज्यादा कुछ नही है । नेता,नोकरशाह और सभी सरकारे ग्रामीणों की डवलपमेंट के नाम पर जमीन छीनते है,डवलपमेंट होता है हमारा या बाकी लोगो का नही बल्कि उन लोगो का जो जमीन के कारोबार से जुड़े है । ग्रामीण और उस पर डेवलमेंट के नाम पर बसाये गये लोग स्लम बस्तियों की तरह है इससे ज्यादा कुछ नही । अख़बार की खबर जो भारत सरकार द्वारा नोटिफिकेशन किया गया है उससे ये बात सिद्ध हो जाती है कि देश मे ग्रामीण आज भी गुलाम है आजाद नही है । जब ग्रामीण अपने घर को घर सिद्ध नही कर सकता तो जम्मू काश्मीर की घुमंतू जाती की तरह ही है । काश्मीर पर पूरा देश पागलों की तरह जिस जनून से पीछे पड़ा है काश देश के ग्रामीण उसी जनून से इस मुद्दे को उठाये तो भविष्य की पीढ़ियों का भला हो सकता है । इसके साथ साथ कई तरह की समस्याओं से देश को निजात मिलेगी जैसे कोर्ट में मुकद्दमों की भरमार से राहत,पॉल्यूशन से राहत,ट्रैफिक जाम से राहत और अन्य कई विसंगतियां है जिनसे देश की जनता को छुटकारा मिलेगा । सबसे बड़ा ग्रामीणों की मालिकाना हक,ट्रांसफर व मॉर्गेज राइट्स मिलने से रोजगार की समस्या का से निजात बल्कि स्व रोजगार निर्मित होंगे सबसे बड़ा काम शहरी करण में जनसंख्या घनत्व घटेगा क्योकि जब गांवो में सुविधा मिलने लगेगी तो व्यक्ति शहर की तरफ़ नही भागेगा बल्कि गाँव की अच्छी आबोहवा में ही रहेगा ।
2012 से में इस मुद्दे पर प्रयासरत हूँ मगर धन्धेबाज राजनीतिक लोगो ने,नोकरशाहो ने मुझे निराशा की तरफ धकेलने की कोशिश की तथा जनता को गुमराह करने का भी प्रयास किया मगर कुछ साथी है जिन्होंने मुझे और मेरे हौसले को प्रोत्साहित किया आज में उनका दिल से धन्यवाद करना चाहता हूँ कि हमारी बात को अब भारत सरकार ने ही सिद्ध कर दिया कि जब कच्ची कालोनियो को नियमित कर मालिकाना हक,ट्रांसफर,मॉर्गेज राइट्स मिल सकते है तो एनसीआर के 8 हजार से ज्यादा गॉव व उसी तरह देश के साढ़े 6 लाख गॉवों को क्यो नही मिल सकता । आज मुझे अपने कुछ साथियों की हौसला अफजाई से ये महसूस हो रहा है कि एक दिन ग्रामीणों के हक की ये मांग जल्द ही पूरी होगी और लोग ईमानदारी से इसमें सहयोग करेंगे अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिये । मेरी एक फिरी की सलाह भी है जनता को की धंधेबाज ने  और नोकरशाहो से बचे व उनके बहकावे में आकर मुद्दे से ना भटके वरना हम और आप गुलामो की तरह ही व आने वाली पीढ़ी भी गुलामो की तरह ही जियेगी ।


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