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दादरी में बढ़ता प्रदूषण बना गंभीर खतरा: चेयरमैन और ईओ की लापरवाही उजागर, नगरवासी जीवन–मरण संकट में!

मनोज तोमर ब्यूरो चीफ राष्ट्रीय दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतमबुद्ध नगर।

दोपहर की चमक की बजाय रेलवे रोड पर उडती धूल से अंधेरा।

निर्माण सामग्री ले जाता ट्रोला द्वारा उडती धूल।

दादरी: नगर दादरी इन दिनों प्रदूषण की भयावह मार झेल रहा है और हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि रोजाना सैकड़ों लोगों की सेहत पर इसका सीधा प्रभाव पड़ रहा है। सामान्य दिनों की तुलना में इन दिनों अस्थमा, सांस में तकलीफ़ और एलर्जी के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अस्पतालों में OPD का बोझ कई गुना बढ़ चुका है, लेकिन नगर प्रशासन की उदासीनता से हालात सुधारने का कोई ठोस प्रयास दिखाई नहीं दे रहा।

सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि दादरी नगर पालिका की भूमिका इस प्रदूषण संकट को और गहरा कर रही है। नगर की सड़कों पर जगह–जगह उड़ती धूल, महीनों से जमा कूड़े के अंबार और नालियों की सफाई न होना प्रशासन की अक्षमता को सीधे तौर पर उजागर करते हैं। दादरी चेयरमैन और ईओ की लापरवाही के कारण पूरा कस्बा एक गैस चैंबर में तब्दील होता जा रहा है। नगर क्षेत्र में न तो नियमित सफाई अभियान चल रहा है और न ही धूल पर नियंत्रण के लिए पानी का छिड़काव किया जा रहा है।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि नगर पालिका मानो ‘आँखों पर पट्टी’ बांधकर बैठी है। रोड पर बसी धूल अब जहरीले धुएं का रूप लेकर सुबह–शाम हवा में फैल रही है। कई क्षेत्रों में कूड़े का ढेर महीनों से साफ नहीं किया गया, जिससे बदबू, मक्खियाँ और प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। दादरी नगर की कई मुख्य सड़कों—जैसे मेन रोड,रेलवे रोड, नई आबादी, पुराना बाजार, स्टेशन रोड, सब्जी मंडी, अनाज मंडी और औद्योगिक क्षेत्र—में हालात सबसे खराब हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार दादरी का AQI लगातार ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बना हुआ है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने प्रदूषण नियंत्रण के किसी भी नियम का पालन सुनिश्चित नहीं किया। नगर पालिका की मशीनरी धरातल पर बिल्कुल निष्क्रिय है, जबकि लाखों रुपये प्रतिवर्ष सफाई बजट में खर्च होने का दावा किया जाता है।

दादरी जैसे तेजी से बढ़ते नगर में प्रदूषण रोकने के लिए सख्त कदम उठाना आवश्यक है—जैसे नियमित सफाई, कूड़ा प्रबंधन प्रणाली, पानी का छिड़काव, अवैध जलाने पर रोक और स्मार्ट डस्टबिन की व्यवस्था। लेकिन चेयरमैन और ईओ की नीतिगत लापरवाही से इनमें से कोई योजना लागू नहीं हो पा रही।

सबसे चिंताजनक बात यह है कि यदि दादरी के निवासी अब भी जागरूक होकर आवाज नहीं उठाएंगे तो आने वाले दिनों में प्रदूषण हालात और विकराल रूप ले सकते हैं। जीवन और स्वास्थ्य से बड़ा कुछ नहीं—दादरी निवासियों को एकजुट होकर चेयरमैन और ईओ से जवाब मांगना ही होगा, ताकि शहर को इस घातक प्रदूषण से बचाया जा सके।

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