नोएडा/ग्रेटर नोएडा। एक तरफ शासन और प्रशासन शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर प्राधिकरणों की नाक के नीचे अवैध निर्माणों का खेल खुलेआम जारी है। नोएडा डूब क्षेत्र से लेकर नौएडा और ग्रेटर नोएडा के नोटिफाइड एरिया तक अवैध कॉलोनियों का साम्राज्य तेजी से फैल रहा है, लेकिन प्राधिकरणों ने जैसे इन अवैध गतिविधियों पर आंखें मूंद ली हैं।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, प्राधिकरण के संबंधित वर्क सर्किल विभागों की मिलीभगत के बिना इतने बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण संभव ही नहीं हैं। नोटिफाइड एरिया में निर्माण की अनुमति बिना प्राधिकरण की स्वीकृति के नहीं दी जा सकती, फिर भी जगह-जगह प्लॉट काटे जा रहे हैं,समतल और सहारा जेसी कम्पनियो मे सून्योजित रूप से हाईराईज बिल्डिंग सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है और लोगों से लाखों रुपये वसूले जा रहे हैं। नियमों के मुताबिक, यदि किसी भी नोटिफाइड क्षेत्र में अवैध निर्माण पाया जाता है, तो उस क्षेत्र के वर्क सर्किल के अधिकारी और कर्मचारी प्रत्यक्ष रूप से दोषी माने जाएंगे। मगर अब तक किसी भी अधिकारी पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई। ऐसा लगता है कि प्राधिकरण के भीतर भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हैं कि हर शिकायत फाइलों में ही दबकर रह जाती है। डूब क्षेत्र में बने अवैध निर्माणों ने न केवल पर्यावरण को खतरे में डाल दिया है, बल्कि मानसून के समय संभावित बाढ़ की स्थिति में हजारों परिवारों की जान जोखिम में पड़ सकती है। बावजूद इसके, प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिकारी मौके पर पहुंचने तक की जहमत नहीं उठाते।
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि जब भी कोई शिकायत दर्ज कराई जाती है, तो प्राधिकरण के कर्मचारी जांच के नाम पर रिश्वत मांगते हैं। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। यही कारण है कि अवैध कॉलोनियों का विस्तार दिन-दूना, रात-चौगुना हो रहा है।
कानून की खुली अवहेलना और भ्रष्टाचार की परतें अब जनता के सब्र का बांध तोड़ रही हैं। अगर जल्द ही शासन इस पर संज्ञान नहीं लेता, तो प्राधिकरण के खिलाफ जन आंदोलन खड़ा होना तय है।
अब सवाल उठता है — आखिर कब तक प्राधिकरण के भ्रष्ट अधिकारी जनता के हक और कानून का मज़ाक उड़ाते रहेंगे?
जनता की मांग:
1. डूब क्षेत्र और नोटिफाइड एरिया में बने सभी अवैध निर्माणों की जांच उच्च स्तरीय कमेटी से कराई जाए।
2. दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर तुरंत निलंबन और मुकदमा दर्ज हो।
3. भविष्य में किसी भी अवैध निर्माण पर निगरानी के लिए सख्त कार्रवाई नीति लागू की जाए। अब जनता पूछ रही है — “कब जागेगा प्राधिकरण?”
नोएडा और ग्रेटर नोएडा की जमीन पर भ्रष्टाचार का कोहराम मचा है, और इस बार जनता जवाब चाहती है, केवल वादे नहीं।
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