गौतमबुद्धनगर, 29 अगस्त 2025, चवन पाल भाटी विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो अधिनियम)-II, विजय कुमार हिमांशु की अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए दोषी शैलेश पुत्र थान सिंह को तीन गंभीर अपराधों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
अदालत ने कहा कि शैलेश को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) के अंतर्गत आजीवन कारावास और ₹20,000 के जुर्माने की सजा होगी। जुर्माना न देने पर दो माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। इसी तरह, पॉक्सो अधिनियम की धारा 4 (नाबालिग पर यौन उत्पीड़न) के तहत उसे आजीवन कारावास और ₹25,000 का जुर्माना अदा करना होगा, अन्यथा तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी पड़ेगी।
साथ ही, एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(2)(v) के तहत अनुसूचित जाति की पीड़िता से दुष्कर्म करने के अपराध में शैलेश को आजीवन कारावास और ₹20,000 का जुर्माना लगाया गया। जुर्माना अदा न करने पर उसे दो माह की अतिरिक्त सजा दी जाएगी।
अदालत ने स्पष्ट किया कि पॉक्सो अधिनियम की धारा 42 के अनुसार, उच्चतम दंड ही प्रभावी होगा और सभी सजाएँ साथ-साथ चलेंगी। दोषी का जमानत बांड निरस्त कर दिया गया तथा उसे जेल भेजने के लिए दोषसिद्धि वारंट जारी किया गया।
महत्वपूर्ण रूप से, अदालत ने पाया कि मामले की परिवादी इंद्रावती ने अभियोजन के विरुद्ध बयान दिया। इस पर न्यायालय ने उसके विरुद्ध धारा 344 दं.प्र.सं. के अंतर्गत झूठा बयान देने का संज्ञान लिया और पृथक प्रकीर्ण वाद दर्ज करने का आदेश दिया।
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