राष्ट्रीय दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स विशेष संवाददाता दिल्ली।
नई दिल्ली, 4 अगस्त 2025 — वरिष्ठ सेवानिवृत्त सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक जे. पी. सिंह गुर्जर ने एक मार्मिक लेख के माध्यम से दिल्ली में गुर्जर समुदाय की गिरती स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि दिल्ली का गुर्जर समुदाय, जो एक समय में कृषि और दुग्ध उत्पादन के जरिए दबंग जीवनशैली का प्रतीक था, आज लालच और अज्ञानता के कारण अपनी पहचान और अस्तित्व खो रहा है।
सिंह ने बताया कि गुर्जर समाज, जो कभी सैकड़ों गांवों का मालिक था, आज जमीन की दलाली में अंधा होकर अपने ही हाथों से अपनी पैत्रिक भूमि को नष्ट कर रहा है। उन्होंने चेताया कि जिन अजनबियों को लालचवश बसाया गया है, वही भविष्य में इस समाज के लिए खतरा बन सकते हैं। विशेष रूप से उन्होंने सीलमपुर गांव का उदाहरण देते हुए कहा कि यह गांव कभी सम्पन्नता का प्रतीक था, लेकिन आज वहां गुर्जर समुदाय का नामोनिशान तक नहीं बचा।
लेख में यह भी उल्लेख किया गया है कि एक समय के प्रभावशाली और सम्मानित गुर्जर समाज ने जब विकास की बजाय धन की भूख और दलाली को अपनाया, तबसे पतन की राह पर चल पड़ा। सिंह ने इसे "स्वयं भस्मासुर बनने" जैसा कदम बताया और चेतावनी दी कि यदि चेतना नहीं आई तो दिल्ली के अधिकतर गुर्जर गांवों का हाल सीलमपुर जैसा हो जाएगा।
लेख का अंत "राम ही सत्य है, यही सत्य है" जैसे दृढ़ संदेश के साथ होता है।
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