-->

’इनोवेटिव ग्रुप ऑफ कॉलेजेस में हिन्दी दिवस का आयोजन’।


मनोज तोमर दैनिक फ्यूचर लाइन टाइम ब्यूरो चीफ गौतमबुद्धनगर 
ग्रेटर नोएडा।इनोवेटिव ग्रुप ऑफ कॉलेजेस में हिन्दी दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत अकादमिक निदेषिका डा. तितिक्षा षर्मा, वित्तीय निदेषिक  ऊषा षर्मा, प्रबंध समिति के प्रमुख  देवाषीष गौड़, प्राचार्य डॉ. मृत्युंजय पांडे,, रजिस्ट्रार अंजिनी झा एवं सभी विभागाध्यक्ष एवं शिक्षको द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सुश्री प्रियंका विनोद भोयार, संस्थापक  अन्षुमा सिंह, ट्रस्टी केयर ट्रस्ट, एवं  प्रवीण कुमार पाठक, अधिवक्ता उपस्थित रहें।हिन्दी दिवस के अवसर पर छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए  प्रियंका विनोद भोयार , जो महिला एवं बाल कल्याण में रुचि रखने वाली एक उत्साही सामाजिक कार्यकर्ता है। जिन्होंने खुशी पाने की अपनी खोज में, पाया कि परोपकारी विचारधारा और वंचितों के लिए व्यावहारिक समाधान दो अलग-अलग चीजें हैं पर गहन विचार साझा किए।इस अवसर पर मुख्य अतिथि सुश्री अन्षुमा सिंह ने हिन्दी भाषा के महत्व को समझाते हुए बताया कि 14 सितम्बर के दिन संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी को भारत की आधारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया। बाद में ऐताहासिक दिन की याद में सरकार ने 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया। प्रवीण कुमार पाठक  ने 14 सितंबर का दिन हिंदी भाषा को समर्पित करते हुए भारत की विविधताओं के बारे में सभी उपस्थित श्रोताओं को अवगत कराया। हिंदी भाषा भारत के अलग अलग राज्यों के अलग अलग धर्मों, जातियों, संस्कृति, वेशभूषा व खान-पान वाले लोगों को एकता के सूत्र में बांधती है। देश को एक रखती है। इतना ही नहीं हिंदी विदेशों में बसे भारतीयों को आपस में जोड़ने का काम भी करती है। हिंदी अलग अलग क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के दिलों की दूरियों को मिटाती है। हिंदी इन सभी लोगों की भावनाओं को जाहिर करने का सबसे सरल व सहज तरीका है। इस दिन का मकसद हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना है।डॉ. मृत्युंजय पांडे विधि, प्राचार्य ने कहा कि हर माता-पिता आज अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए अच्छे स्कूल में प्रवेश दिलाते हैं। इन स्कूलों में विदेशी भाषाओं पर तो बहुत ध्यान दिया जाता है लेकिन हिन्दी की तरफ कोई खास ध्यान नहीं दिया जाता। लोगों को लगता है कि रोजगार के लिए इसमें कोई खास मौके नहीं है। हिन्दी दिवस मनाने का अर्थ है गुम हो रही हिन्दी को बचाने के लिए एक प्रयास। कोई भी व्यक्ति अगर हिन्दी के अलावा अन्य भाषा में पारंगत है तो उसे दुनिया में ज्यादा ऊंचाई पर चढ़ने की बुलंदियां नजर आने लगती हैं चाहे वह कोई भी विदेशी भाषा हो, फ्रेंच या जर्मन या अन्य और ये कतई सही नहीं है। हमें हिन्दी भाषा को कम नहीं आंकना चाहिए।मंच का संचालन बी. ए. प्रथम वर्ष के छात्र पियुष कुन्द्रा एवं मानसी द्वारा किया गया। समारोह का समापन महाविद्यालय के छात्रों द्वारा संस्कृति कार्यक्रमों के द्वारा किया गया जिसमें बी.ए.एल.एल.बी. से फरमान, बी.सी.ए. से अमन पाण्डेय एव बी.बी.ए. से निषान्त, पलक एवं वंषिका ने भाग लिया।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ