लोकतंत्र के मायने क्या है ? मेरी नजर में ? रघुराज सिंह

फ्यूचर लाइन टाईम्स, कुलदीप चौहान संवाददाता नोएडा की रिपोर्ट ।
नोएडा। पूर्व प्रत्याशी नोएडा दादरी विधान सभा पूर्व सहसचिव IYC रघुराज सिंह ने ने विचार रखते हुए कहा कि सम्मानीय साथियों देश मे लोकतंत्र को सब बड़े बड़े लोगो ने अपने यहाँ बंधक बना लिया है।जो लोकतंत्र सबको समान अधिकार देता है।उसका कोई पालन नही हो रहा बल्कि एक समूह की हिफाजत में सारी लोकतंत्र की शक्तियों का प्रयोग हो रहा है।  देश में सभी नेता,समाज के प्रबुद्ध लोग, देश की नोकरशाही सब के सब लोकतन्त्र की दुहाई देते है। मिडिया तो लोकतन्त्र को महिमामंडित करने में किसी से पीछे नही है? माफ करना में कोई वकील या समाज का प्रबुद्ध व्यक्ति नही हूँ बल्कि एक साधारण किसान परिवार से हूँ और एक छोटा सा साधरण पार्टी का कार्यकर्ता हूँ । मेरा दुर्भाग्य की मैं आज तक इस लोकतन्त्र को नही समझ सका यह है किस के लिये? 
ये गरीब,किसान,मजदूर और फौज जो दिन रात देश की सुरक्षा में लगी रहती है उनका लोकतन्त्र है या तथाकथित नेताओ,बिल्डरो,उद्योगपतियों और उन नोकरशाहों का लोकतन्त्र है ? जो समाज के हर उस वर्ग का शोषण करते है जो शोषित है पीड़ित है  वंचित क्योकि जब किसान, गरीब,
महिला,शोषित,मजदूर वर्ग पर जब मुसीबत आती है तो ये लोकतन्त्र मूक दर्शक बन कर देखने के सिवाय कुछ नही करता?मामला चाहे किसानो की भूमि हड़पने का हो,फौज की तनख्वाह बढ़ाने का हो, भूमि हीनों को बसने के लिये भूमि देने का मामला हो आदि आदि?क्योकि आज भी देश का अवाम 70 %गॉंवों में रहता है 30 %शहरों में अनुमानित है! 30 %जो शहर है देश में उनमे 90 % स्लम का ऐरिया है? कुल मिलाकर 97 % के लगभग देश गॉंवों और स्लम बस्तियों में रहता है ? 97 %लोग जहाँ रहते है वो लोग 3% लोगो की तरह ना तो अपने घरो को अपना सिद्ध नही कर सकते,ना ही उनको वो सुविधा मिलती है जैसे 3 % लोगो को मिलती है  अर्थात जैसे बच्चों की शिक्षा के  लोन,व्यवसाय के लिये सम्पत्ति रख कर लोन या अन्य किसी भी प्रकार का हो|  
मित्रो कैसा है इन97 % लोगो का लोकतन्त्र सोचो ? 3 %लोगो के लिये लोकतन्त्र में सबकुछ है | जब इन 3 % लोगो को भी असुविधा होती है देश को चलाने वाले सभी तन्त्र उनकी सुरक्षा में सबकुछ दांव पर लगा कर उनको बचाते है?आज तक देश में कितने लोगो पर आरोप लगा और कितने जाँच आयोग बने ? किसी का कोई नतीजा निकला और ना ही निकलेगा? लेकिन जब जब किसानो से भूमि को छीना तब तब ये सब लोग चुप रहे या मिलकर किसानो और गॉंवों के लोगो को गुमरहा किया! ऊपर से अपने अवैध् भूमि के अधिग्रहण को कानून की मोहर लगवा कर वैध घोषित करवा लिया? क्योकि किसान कानूनी लड़ाई के लिये महंगे वकील की फीस दे नही सकता और बगैर फीस के कानूनी लड़ाई लड़ नही सकता ? क्या करे किसान क्योकि ये हमारा 97 % लोगो के लिये लोकतन्त्र है? असल में 3 %लोगो को राज करने के लिये 97 % लोगो पर राज करने को ही शायद लोकतन्त्र कहते हो मेरी समझ तो यही कहती है क्योकि में भी 97 % का हिस्सा हूँ?
जब तक देश के हुकमरान इस वर्ग के लिये नही सोचेगे देश समृद्धशाली कैसे होगा। आज समय है कि किसानों के लिये, गरीबो के लिये, मजदूरों के लिये, सेनिको के लिये, एवम समस्त शोषित वर्ग के लिये संकल्पबद्ध हो कर अपने हक की लडाई लडने की जरूरत है।हम सब जो 97% है एकजुट हो और अपने अधिकार लेने की लडाई लड़े। आज भी हमारे गाँव मे जो मकान है उनको लोन नही मिलता है। क्यो की उनको उनकी सम्पत्ति का मालिकाना हक ही नही है और ना ही शहर की उस आबादी को लोन मिलता है जो स्लम एरिया कहलाती है।
देश का संविधान कहता है सबको बराबरी का अधिकार है। लेकिन मेरी नजर में बराबरी का अधिकार नही है देश के धन कुबेर देश का धन कर्जे पर लेते है और उनके कर्जे माफ हो जाते है जब कि गरीब और किसान के कर्जे में उनकी जमीन जायदाद नीलम कर दी जाती है और उनको बेदखल कर दिया जाता है। मेरे विचार से किसान को और स्लम एरिया बालो को भी अधिकार मिले की उनको भी वो सब सुविधाये प्राप्त हो जो उच्च वर्ग को प्राप्त है।जय हिंद, जय भारत, जय जवान, जय किसान ।

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