क्या सत्य की ही जीत होती है

फ्यूचर लाइन टाईम्स 



ग्रेटर नोएडा : सत्य की ही जीत होती है। ऐसा उपदेश न्याय बनाम अन्याय के द्वंद में न्याय का पक्ष लेते हुए सुनाया जाता है। असत्य की जीत होती है, ऐसा उपदेश कोई नहीं देता। परंतु असत्य की जीत होती है, ऐसा मैं इस छोटे से लेख के माध्यम से कहना चाहूंगा। मेरा उद्देश्य असत्य का पक्ष लेना नहीं है। असत्य की एक जीत का उदाहरण सन् 1949- 50 मैं एक संप्रभु देश तिब्बत को ड्रैगन अथवा चीन द्वारा समूचा निगल जाना है। सन् 1949 तक भारत की कोई सीमा चीन से नहीं लगती थी। क्योंकि बीच में एक विशाल स्वतंत्र देश तिब्बत बीच में पड़ता था। असत्य की जीत का एक बड़ा उदाहरण यह भी है की इस्लाम के संस्थापक के जन्म से 30 वर्ष बाद तक भी अर्थात सन 600 ईसवी तक भी एक भी मुसलमान और मुस्लिम राष्ट्र दुनिया में नहीं था। इस समय दुनिया में 57 मुस्लिम देश है। उपरोक्त दोनों उदाहरण भीषणतम रक्तपात, नरसंहार और बलात्कार जैसे दुष्कर्म के द्वारा संभव किए गए। 


लाखों तिब्बतियों का वध, लगभग सभी तिब्बती महिलाओं के साथ बलात्कार और समूचे तिब्बत को हड़पकर चीन में मिलाना इस घटना में 'सत्य' हार गया और शांति प्रिय बौद्ध धर्म को मानने वाले तिब्बतियों की 'अहिंसा' भी हार गई। इस घटना के कुछ समय बाद अर्थात 1962 में चीन द्वारा भारत की 19000 वर्ग मील भूमि पर कब्जा कर लिया और 'विश्वास' भी हार गया। 'हिंदी चीनी भाई-भाई' नाम की दोस्ती भी हार गई। 


सारी दुनिया में कोविड-19 अर्थात कोरोना वायरस की महामारी फैलाने वाला, उसका उत्पत्ति कर्ता, कारण और कारक दोनों ही और लाखों-करोड़ों लोगों का कोरोना द्वारा वध करने वाला, हत्यारा चीन, सारी दुनिया की अर्थव्यवस्था को चौपट करने वाला चीन इस महामारी को फैलाने में सफल होने पर घमंड से भर गया है। लगता है कोरोना के ब्रह्मास्त्र है उसने दुनिया को झुका दिया है, हरा दिया है और स्वयं की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में लगा हुआ है। सीमावर्ती देशों, समुंदरों अर्थात जल और थल दोनों पर अपना विस्तार करने पर आमदा है और अभी तक असत्य जीतता दिखाई दे रहा हैं । 


इसलिए संसार के सभी देशों के मनुष्य सुनो! तिब्बती महिलाओं का चित्कार सुनो। तिब्बत में चीनी सेना द्वारा मारे गए लोगों की आत्माओं कि कहीं दूर से आ रही आवाज सुनो! उनका छीना गया देश उन्हें वापस दिलाओ। उनके अपने देश तिब्बत की आजादी को पाना उनका मौलिक अधिकार है। एक असुर, दैत्य, राक्षस उसको निगल गया है। इसलिए सत्य की ही जीत होती है। इस उक्ति को चरितार्थ करने के लिए सज्जन शक्ति को एकजुट और संगठित होना चाहिए। सत्य, न्याय, अहिंसा और विश्वास हार गए तो आसुरी शक्तियां की विजय संभव है। यदि सैन्य शक्ति ही उपचार है तो प्रयोग करने चाहिए। तिब्बतियों को चीन से स्वतंत्र कराकर वहां तिब्बतियों की सरकार बनानी चाहिए। सारी दुनिया को चीन के डर कायरों की तरह हार स्वीकार नहीं करनी चाहिए। हत्यारा मारने आ रहा है। यह जानते हुए भी सिर झुकाए मरना कायरता है। बेहतर है संघर्ष करके पराक्रम करके, वीरगति से मरो। ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि थोड़ी या ज्यादा हानि उठानी पड़ सकती है, उस हानी को उठाने के लिए तैयार हो जाओ। तिब्बत को चीन मुक्त कराओ। चीन की अक्ल को ठीक करो और यह पंक्ति भी याद कर लो--


जग नहीं सुनता कभी दुर्बल जनों के शांत प्रवचन। 


सर झुकता है उसे जो कर सके रीपूमान मर्दन।।


और अंत में यह कहूंगा कि आप पर अर्थात संसार पर निर्भर है कि सत्य जीतेगा या असत्य जीतेगा।


रणवीर सिंह


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