नव वर्ष का औचित्य

नव वर्ष का औचित्य-


दुनिया है ठिठुरे सर्वत्र
मौसम बदला न नक्षत्र
वृक्ष खो चुके हैं पत्र
बच्चों का अभी वही सत्र ॥


कोई सुसंस्कार नहीं
पीकर होगा दुराचार
अबला उत्पीड़न होगा
और दुर्घटना के समाचार ॥


हर विजयी ताकतवर ने
अपना पंचांग चलाया है
आज हम स्वतंत्र हैं
क्यों पंचांग पराया भाया है.?


नक्षत्र ग्रहों पर आधारित
अपना विक्रमी पंचांग
वैज्ञानिक और सांस्कृतिक मूल्य
आज समय की मांग ॥


वर्ष प्रतिपदा को हिन्दू
अपना नववर्ष मनाते हैं
उस दिन प्रकृति में भी हम
सार्थक परिवर्तन पाते हैं 


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