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चीन न भरोसेमंद है और न शक्ति संतुलन की उसे चिंता है !

फ्यूचर लाइन टाईम्स, दिनांक अक्टूबर 14,2019,गोतमबुद्धनगर , राजेश बैरागी :
यह चांदनी चौक नहीं चेन्नई टू चाइना मीट थी। क्या दो राष्ट्र प्रमुख अनौपचारिक बातचीत करते हैं? क्या एक राष्ट्र प्रमुख दूसरे राष्ट्र प्रमुख के साथ चाय पीने और कथक देखने के लिए हजारों मील दूर चलकर आ सकता है? यदि ऐसा हो सकता तो दो विश्व युद्ध नहीं होते।आज भारत जिन तीन देशों से सर्वाधिक प्रभावित है उनमें रूस सबसे विश्वसनीय मित्र है। अमेरिका एशिया में शक्ति संतुलन के लिए भारत के साथ है और चीन न भरोसेमंद है और न शक्ति संतुलन की उसे चिंता है। फिर भी वर्तमान वैश्विक परिस्थितियां दो पड़ोसी किंतु दुश्मन जैसे देशों के प्रमुखों को घोषित बहाने के अभाव में भी चाय और कथक पर इकट्ठा कर सकती हैं। यह बुरा भी नहीं है। अनौपचारिक होने के बावजूद इस मुलाकात ने शांति, आपसी समझ व दूसरे पड़ोसी की मानसिक अशांति बढ़ाने का काम किया है।


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