-->

ब्रिटेन संसद में स्वामी चक्रपाणि जी महाराज का ऐतिहासिक सम्मान—भारत की आध्यात्मिक ध्वजा विश्व मंच पर लहराई

राष्ट्रीय दैनिक फ्यूचर लाइफटाइम विशेष संवाददाता दिल्ली।

ब्रिटेन के संसद हाउस ऑफ़ कॉमन्स मैं अखिल भारत हिंदू महासभा एवं संत महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज को सम्मानित करते सांसद मिस्टर जैक, सांसद सुहेल शेक, सांसद वीरेंद्र शर्मा, मेयर मिस्टर हैरो, मेयर अंजना तथा नचिकेता जोशी वर्ल्ड लीडरशिप फाउंडर!

 दिल्ली/ लंदन, 20 नवंबर 2025। हाउस ऑफ़ कॉमन्स और हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स में आयोजित भव्य कार्यक्रमों ने भारत के आध्यात्मिक गौरव को नई पहचान दी, जब अखिल भारत हिंदू महासभा एवं संत महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष परम पूज्य सनातन सम्राट स्वामी चक्रपाणि महाराज को अंतरराष्ट्रीय मंच पर “Exemplary Leadership Award” से सम्मानित किया गया। यह सम्मान International Conclave 2025 के दौरान सांसद जैक, सुहेल शेख, वीरेंद्र शर्मा, हैरो के मेयर, मेयर अंजना और वर्ल्ड लीडरशिप फोरम के संस्थापक नचिकेत जोशी द्वारा प्रदान किया गया।

हाउस ऑफ़ कॉमन्स के Committee Room 14 में हुए इस सम्मान समारोह में पूरा सभागार महाराज जी के सम्मान में खड़ा हो गया—यह भारत के लिए अत्यंत गौरवपूर्ण क्षण था। कार्यक्रम का निमंत्रण ब्रिटेन की सांसद जॉय मॉरिसी द्वारा भेजा गया था।

इसके बाद हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स के प्रतिष्ठित Cholmondeley Room and Terrace में Lord Sahota द्वारा आयोजित विशेष Afternoon High-Tea Reception में महाराज जी को विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। यह स्वागत ब्रिटेन की उच्चतम संसदीय परंपरा का प्रतीक माना जाता है।

कार्यक्रम में महाराज जी के राष्ट्रधर्म और वीरता से जुड़े महत्वपूर्ण योगदानों का उल्लेख किया गया—श्री राम जन्मभूमि मामले में मुख्य पक्षकार की भूमिका, मुंबई बमकांड के दोषी दाऊद इब्राहिम के आतंक के प्रतीकात्मक अंत हेतु उसके वाहन का दहन, तथा सनातन संस्कृति के वैश्विक प्रचार में उनका आजीवन समर्पण।

अपने प्रेरक संबोधन में महाराज जी ने कहा कि भारत का आध्यात्मिक तेज और ब्रिटेन की प्रशासनिक शक्ति मिलकर विश्व को शांति, समृद्धि और मानवता की दिशा देंगे। उन्होंने योग, ध्यान और आत्मानुशासन अपनाने का संदेश दिया।

महाराज जी के सम्मान के उपरांत भारत सहित विश्वभर से बधाइयों का सैलाब उमड़ पड़ा। संत समाज, भारतीय समुदाय और विश्व के विभिन्न देशों से आए संदेशों ने इस उपलब्धि को एक अंतरराष्ट्रीय उत्सव में बदल दिया।

यह सम्मान भारत की आध्यात्मिक शक्ति और सनातन संस्कृति की वैश्विक प्रतिष्ठा का उज्ज्वल प्रमाण है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ