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गुर्जर समाज की नई उड़ान: शिक्षा से जागी चेतना, युवा लिख रहे सफलता का स्वर्ण अध्याय

राजेंद्र चौधरी संवाददाता राष्ट्रीय दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गाजियाबाद।

गाजियाबाद / इंदौर / राजस्थान (6 अक्टूबर 2025):
“आगे बढ़ने के जूनून से जगती अलख” — इस विचार को साकार कर रही है गुर्जर समाज की नई पीढ़ी, जो शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे कीर्तिमान स्थापित कर रही है, जिन पर हर समाज गर्व कर सके।

कशिश कसाना ने सांख्यिकी विभाग की प्रतियोगी परीक्षा में शीर्ष स्थान प्राप्त कर समाज का गौरव बढ़ाया है। उनकी सफलता ने ग्राम गनौली के बॉबी बैंसला (केंद्रीय पीएफ विभाग) और तुगलकाबाद के साहिल बिधूड़ी (इसरो में चयनित) की उपलब्धियों की याद ताज़ा कर दी है। यह तिकड़ी इस बात का प्रमाण है कि सही दिशा और समर्पण से कोई भी समुदाय स्वयं अपना भविष्य गढ़ सकता है।

गाजियाबाद के ‘तथास्तु’ शैक्षिक समूह के संयोजक विकास नागर का कहना है — “हमारा उद्देश्य केवल सफलता नहीं, सजगता का प्रसार है।” वहीं समाजशास्त्री डॉ. राकेश राणा के अनुसार — “समाज की सरलता ही उसकी सबसे बड़ी पूँजी है।”

राजस्थान में ‘पे बैक टू सोसायटी’ अभियान चलाकर डॉ. गोपाल और प्रशांत जी शिक्षा को सामाजिक जिम्मेदारी का रूप दे रहे हैं।

इसी शृंखला में सुदर्शन गुर्जर का नाम प्रेरणा का प्रतीक बनकर उभरा है। इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में उनका नाम “100 करोड़ मिनट्स से अधिक देखे गए UPSC लेक्चर” के लिए दर्ज हुआ है। उन्होंने अब तक 100 से अधिक IAS-IPS चयन में योगदान दिया है।

इन्हीं प्रेरणाओं से प्रेरित होकर हरेंद्र जी, नमित भाटी, डॉ. कुलदीप, अंकित भाटी, अनिल बैंसला और देवेंद्र नागर जैसे समाजसेवी शिक्षा के दीपक जला रहे हैं।

आज गुर्जर समाज की यह शैक्षिक जागृति केवल उपलब्धियों की कहानी नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और सामाजिक चेतना की नई दिशा है —
एक दीपक, अनेक दिशाएँ।

— राजीव-राकेश

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