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किसानों और मजदूरों ने SDM सदर गौतम बुद्ध नगर कोे राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन, MSP और श्रम सुधार की मांग

मनोज तोमर ब्यूरो चीफ राष्ट्रीय दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतमबुद्ध नगर।

ग्रेटर नोएडा, 26 नवंबर 2025: देशभर के किसान और मजदूर आज ऐतिहासिक किसान आंदोलन की 5वीं वर्षगांठ पर एसडीएम सदर गौतम बुद्ध नगर द्वारा  राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन सौंपने के लिए एकजुट हुए। ज्ञापन में केंद्र सरकार से 9 दिसंबर 2021 को SKM को दिए गए लिखित आश्वासन को पूरा करने और किसानों व मजदूरों के हितों की रक्षा करने की मांग की गई है।

ज्ञापन में प्रमुख रूप से सभी फसलों के लिए MSP@C2+50% के साथ गारंटीड खरीद, व्यापक कृषि ऋण माफी, श्रम संहिता सुधार, बिजली बिल 2025 की वापसी, और किसानों तथा मजदूरों को नुकसान पहुँचाने वाले किसी भी FTA पर रोक लगाने की अपील की गई। किसान प्रतिनिधियों ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में किसानों की आय में कमी और उत्पादन लागत में वृद्धि के कारण आर्थिक संकट गहरा गया है, जबकि कॉर्पोरेट घरानों को बड़े पैमाने पर ऋण माफी दी गई।

ज्ञापन में यह भी बताया गया कि राज्य स्तर पर धान का MSP लागू करने में असमानता है। उदाहरण के लिए, 2025-26 के लिए धान का MSP 2369 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया गया, लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार में किसानों को इससे कम कीमतें मिल रही हैं। केरल, छत्तीसगढ़ और ओडिशा ने MSP@C2+50% सुनिश्चित कर लिया है, जिससे इन राज्यों के किसानों को वास्तविक लाभ मिल रहा है।

किसान संगठनों ने बिजली, उर्वरक, मनरेगा और श्रमिक अधिकारों के मुद्दों पर भी सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। ज्ञापन में सरकारी योजनाओं की कमी और निजीकरण के खतरों को उजागर करते हुए न्यूनतम मजदूरी, वृद्धावस्था पेंशन और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया।

इसके अलावा, किसानों और मजदूरों ने प्राकृतिक आपदाओं, बुलडोज़र राज, भूमि अधिग्रहण, और संघीय अधिकारों की रक्षा को लेकर भी ठोस उपायों की मांग की है। ज्ञापन में कहा गया है कि यदि सरकार ने इन मांगों को नजरअंदाज किया, तो किसान और मजदूर दीर्घकालिक शांतिपूर्ण संघर्ष करने को बाध्य होंगे।

अशोक भाटी, जिलाध्यक्ष नोएडा, ने कहा, "हमारा उद्देश्य केवल संघर्ष नहीं, बल्कि किसानों और मजदूरों के लिए न्याय और स्थायी समाधान सुनिश्चित करना है। केंद्र और राज्य सरकारें अब निष्पक्ष और प्रभावी कदम उठाएँ।"

देशभर के किसान और मजदूरों की यह आवाज़ स्पष्ट संदेश देती है कि कृषि और श्रमिक सुधार अब और प्रतीक्षा नहीं कर सकते।

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