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चौथी कक्षा की पर्यावरण पाठ्यपुस्तक "आस-पास" — बच्चों के समग्र विकास की दिशा में एक अभिनव प्रयास

राजेन्द्र चौधरी संवाददाता राष्ट्रीय दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गाजियाबाद।

पुस्तक समीक्षा विशेष रिपोर्ट
चौथी कक्षा की पर्यावरण पाठ्यपुस्तक "आस-पास" — बच्चों के समग्र विकास की दिशा में एक अभिनव प्रयास

गाजियाबाद, 5 जून 2025।
चौथी कक्षा के छात्रों के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा प्रकाशित पुस्तक “पर्यावरण अध्ययनः आस-पास” ने बाल शिक्षा की दुनिया में एक सशक्त हस्तक्षेप किया है। प्रोफेसर (डॉ.) राकेश राणा, समाजशास्त्र विभाग, एम.एम.एच. कॉलेज, गाजियाबाद द्वारा लिखित इस विस्तृत पुस्तक समीक्षा में पुस्तक की शैक्षिक, सामाजिक और संवेदनात्मक गहराइयों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया है।

डॉ. राणा के अनुसार, यह पुस्तक पर्यावरण को विषय नहीं, बल्कि एक जीवंत अनुभव के रूप में प्रस्तुत करती है। इसमें भोजन, पानी, आवास, परिवार, यात्रा, वस्तुओं का निर्माण-बिगाड़ जैसे छह उपविषयों को बच्चों की रुचि, अनुभव और जिज्ञासा के अनुरूप बुना गया है। पुस्तक का उद्देश्य बच्चों को परिभाषाओं में उलझाने के बजाय उनके मस्तिष्क में सृजनात्मक हलचल उत्पन्न करना है, जिससे वे स्वाभाविक रूप से पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनें।

बाल-केंद्रित गतिविधियों जैसे कहानी, कविता, नाटक, पहेलियों के साथ-साथ चित्रों, संवादों और प्रयोगों को इस पुस्तक में समावेशित किया गया है, जिससे बच्चों में सीखने की जिज्ञासा बनी रहे। शिक्षक की भूमिका को भी महत्वपूर्ण माना गया है और सुझाव दिया गया है कि वह स्थानीय परिवेश से पाठ्य सामग्री को जोड़ते हुए शिक्षण को अधिक जीवंत बना सकते हैं।

इस पुस्तक में समाजिक-सांस्कृतिक विविधताओं, भाषायी भिन्नताओं और मानवीय दृष्टिकोण का समावेश सराहनीय ढंग से किया गया है। पुस्तक बच्चों को संवेदनशील बनाती है कि विविधता हमारे समाज की ताकत है, जिसे समझना और सम्मान देना आवश्यक है।

पुस्तक के 27 अध्याय बच्चों को ‘ओमना का सफर’, ‘नानी के घर तक’, ‘फूलवारी’, ‘फौजी वहीदा’, ‘नंदिता मुंबई में’, जैसे पाठों के माध्यम से भारत के राष्ट्रीय चरित्र और स्थानीय जीवन से परिचित कराते हैं। पाठ्यक्रम के भीतर रहकर यह पुस्तक बच्चों को स्कूल की चारदीवारी से बाहर प्राकृतिक अनुभवों और सामाजिक यथार्थ से जोड़ने का कार्य करती है।

डॉ. राणा के अनुसार, यह पुस्तक केवल परीक्षा के लिए नहीं, बल्कि बच्चों में प्रेरणा और कल्पनाशीलता जगाने के लिए है। इसका मूल्यांकन प्रणाली पर भी गहरा प्रभाव है, जो केवल उत्तर लिखने तक सीमित न होकर, प्रश्न पूछने, चित्र बनाने, विचार प्रस्तुत करने और संवाद स्थापित करने को भी महत्व देता है।

आई.एस.बी.एन. 81-7450-692-6 से प्रकाशित, 216 पृष्ठों की यह पुस्तक मात्र 65 रुपये मूल्य की है। आकर्षक छपाई, सुंदर आवरण (डिजाइनर: श्वेता राव) और बच्चों की भाषा शैली में लिखी गई यह पुस्तक शिक्षकों, अभिभावकों और विद्यार्थियों के लिए समान रूप से उपयोगी है। यह न केवल एक पाठ्यपुस्तक है, बल्कि शिक्षा के परंपरागत स्वरूप में परिवर्तन की प्रेरक दस्तावेज़ है।

यह पुस्तक समीक्षा शिक्षा नीति से जुड़े हर व्यक्ति के लिए एक दिशा-सूचक दस्तावेज़ के रूप में देखी जा सकती है। यह बाल शिक्षा में संवेदनशीलता, सृजनात्मकता और समझ की त्रयी को केंद्र में रखती है। राष्ट्रीय शिक्षा के क्षेत्र में यह एक अभिनव और अनुकरणीय प्रयास है, जो भविष्य के भारत को अधिक सजग, संवेदनशील और जागरूक बनाएगा।

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