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स्वामी चक्रपाणि महाराज ने की स्वामी विवेकानंद और महर्षि महेश योगी को भारत रत्न देने की मांग।

रामानन्द तिवारी संवाददाता दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स नई दिल्ली।
नई दिल्ली (डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर)
नई दिल्ली। अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के तत्वावधान में स्वामी विवेकानंद और महर्षि महेश योगी की जयंती भव्य रूप से मनाई गई। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम की अध्यक्षता कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अनूप श्रीवास्तव ने की। स्वामी चक्रपाणि महाराज ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में दोनों महापुरुषों को "सनातन धर्म के कोहिनूर" बताया और केंद्र सरकार से इन्हें भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद और महर्षि महेश योगी के विचार भारत को विश्वगुरु बनाने की दिशा में मार्गदर्शक हैं।
श्री चित्रगुप्त अखाड़ा की घोषणा।
स्वामी चक्रपाणि महाराज ने इस मौके पर श्री चित्रगुप्त अखाड़ा की स्थापना की घोषणा की। उन्होंने अपने शिष्य स्वामी सच्चिदानंद महाराज को अखाड़े का पहला आचार्य महामंडलेश्वर घोषित किया और उनका नामकरण स्वामी सच्चिदानंद चित्रगुप्त किया।
उत्कृष्ट नेतृत्व की सराहना।
स्वामी जी ने कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अनूप श्रीवास्तव की क्रांतिकारी नेतृत्व शैली और सिद्धांतों के प्रति निष्ठा की प्रशंसा की। उन्होंने महासभा के पूर्व दिग्गज नेताओं जैसे डॉ. राजेंद्र प्रसाद और सच्चिदानंद सिन्हा के योगदान को याद करते हुए डॉ. श्रीवास्तव को महासभा की शक्ति का प्रतीक बताया।
प्रमुख अतिथि और गणमान्य व्यक्ति।
कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने भाग लिया, जिनमें वन मंत्री अरुण सक्सेना, ब्रिगेडियर अनिल श्रीवास्तव, रिटायर्ड आईएएस देश दीपक वर्मा, जस्टिस सुधीर सक्सेना, पद्मश्री शोभना नारायण, पूर्व राज्य मंत्री रिव्यू श्रीवास्तव, और कई अन्य प्रमुख व्यक्ति शामिल थे।
सदस्यता अभियान की प्रशंसा।
स्वामी चक्रपाणि महाराज ने डॉ. सुशील सिन्हा के सदस्यता अभियान और उनके सरल स्वभाव की सराहना करते हुए आशीर्वाद दिया। वहीं, कार्यक्रम संचालक डॉ. अशोक श्रीवास्तव के योगदान को भी खूब सराहा गया।
गगनभेदी नारों से गूंजी सभा।
कार्यक्रम में हजारों लोगों ने स्वामी विवेकानंद, महर्षि महेश योगी और भगवान चित्रगुप्त के जयकारों से समूचा वातावरण भक्तिमय कर दिया।
सभी को मिला एकता का संदेश।
कार्यक्रम का समापन डॉ. अनूप श्रीवास्तव के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने सभी गणमान्य अतिथियों, महासभा की कार्यकारिणी और जनसमूह का आभार व्यक्त किया।
भोजन प्रसाद और जनसंपर्क।
सभा के अंत में सभी ने स्वादिष्ट भोजन प्रसाद का आनंद लिया। हजारों लोगों की उपस्थिति ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया।


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