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गौतमबुद्ध नगर सीट पर अपना हक जताने वाले गुर्जर समाज के लिए कड़ी चुनावी परीक्षा! कर्मवीर नागर प्रमुख।

दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स हिंदी राष्ट्रवादी समाचार पत्र नोएडा।
नोएडा। इस बार का लोकसभा चुनाव गौतमबुद्ध नगर सीट पर अपना हक जताने वाले गुर्जर समाज के लिए कड़ी चुनावी परीक्षा! कर्मवीर नागर प्रमुख।
देशभर में लोकसभा के चुनाव का बिगुल बज चुका है। प्रथम चरण के चुनाव की नामांकन प्रक्रिया प्रारंभ होने के साथ साथ धीरे-धीरे चुनावी सरगर्मियां बढ़नी प्रारंभ हो गई है। जैसे-जैसे मतदान का समय नजदीक आता जाएगा चुनावी पारा और अधिक चढ़ता जाएगा। अगर इस चुनावी समर में गौतमबुद्ध नगर संसदीय सीट के परिपेक्ष्य में बात करें तो देश की आजादी से लेकर लोकसभा सीटों के परसीमन से पहले तक खुर्जा संसदीय सीट के नाम से यह सीट आरक्षित श्रेणी में आती थी। लेकिन परिसीमन के बादbअनारक्षित हुई गौतम बुद्ध नगर सीट पर प्रथम बार हुए चुनाव में बसपा प्रत्याशी सुरेंद्र नागर ने विजय पताका फहराकर इस सीट को गुर्जर बाहुल्य सीट होने का साफ साफ संदेश देने का काम किया था। तभी से गुर्जर समाज ने इस सीट पर अपना अधिकार जताना शुरू किया था। हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं कि किसी एक जाति विशेष के बल पर कोई चुनाव नहीं जीता जा सकता लेकिन इस सीट पर गुर्जर मतदाताओं की बाहुल्यता को भी नहीं नकारा जा सकता। इसके अतिरिक्त सीटों के परिसीमन से पहले इस संसदीय सीट की अधिकतर विधानसभा सीटों पर गुर्जर नेताओं का ही दबदबा रहना भी गुर्जर बाहुल्यता की बात को बल देता है। अब देखना यह है कि भाजपा के टिकट पर दो बार इस सीट पर परचम लहराने वाले डॉक्टर महेश शर्मा का विजयी रथ गुर्जर समाज के वह लोग रोक पाने में कितना कामयाब हो पाएंगे जो गली मोहल्लों में, चौपालों पर, गांवों में हुक्का गुडगुडाते हुए और गांव से आकर शहरी सेक्टर्स में बसे गुर्जर समाज के लोग गौतमबुद्ध नगर सीट पर हक जताते नजर आते हैं। हालांकि इस सीट पर हक जताने वाले गुर्जर समाज के मतदाताओं के इतिहास पर नजर डालें तो सन् 2019 में भी गौतमबुद्ध नगर सीट से बसपा प्रत्याशी सतवीर नागर गुर्जर समाज का अकेला प्रत्याशी मैदान में था लेकिन बड़ी संख्या में वोट लेकर भी काफी पिछड़ गया था। लेकिन पिछली बार गुर्जर मतदाताओं के जो जज्बे में भी कमी थी और भाजपा प्रत्याशी के प्रति भी विरोधाभास भी उतना नजर नहीं आया था जिस तरह इस बार गुर्जर मतदाताओं में अंदर ही अंदर विरोधाभास नजर आने के अतिरिक्त मूल रूप से भाजपाई मतदाता कहे जाने वाले ठाकुर समाज में भी विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं। वैसे भी इस बार बसपा के टिकट पर भाग्य आजमाने वाले राजेंद्र सोलंकी ठाकुर समाज से ही ताल्लुकात रखते हैं।
ऐसे में इस बार का चुनाव उस गुर्जर समाज के लिए कड़ी परीक्षा और चुनौती पेश करता नजर आ रहा है जो इस संसदीय सीट पर अपना हक़ जताते नहीं थकते। यह चुनाव इस बात को तय करेगा कि या तो गुर्जर मतदाताओं को चुनौती स्वीकारते हुए गुर्जर समाज के एकमात्र प्रत्याशी डॉक्टर महेंद्र नागर के पक्ष में लामबंद होना होगा अन्यथा इस चुनाव के बाद इस संसदीय सीट पर गुर्जर समाज को अपना हक जताने की चर्चा परिचर्चा और तर्क वितर्क करना बंद करना होंगा। इसीलिए इस बार का चुनाव गुर्जर समाज के लिए चुनौती ही नहीं कड़ी परीक्षा का समय है। अब देखना यह है कि चुनाव की तारीख नजदीक आते-आते गौतमबुद्ध नगर सीट पर अपना अधिकार जताने वाले गुर्जर मतदाताओं का ऊंट किस करवट बैठेगा ? यह तो समय ही बताया कि गौतम बुद्ध नगर सीट पर खुद का हक जताकर स्वयं पैदा की गई इस चुनौती पूर्ण कठिन परीक्षा में गुर्जर समाज पास होगा या फेल ? हालांकि इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि अकेला चना कभी भाड़ नहीं फोड़ सकता इसलिए पास या फेल होना इस बात पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा कि सपा प्रत्याशी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक मतदाताओं का कितना रुख अपने पक्ष में मोड़ने में कामयाब होगा।

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