मदरसों में 4 करोड़ छात्रवृत्ति घोटाला की मुख्य अभियुक्ता तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को मिली बड़ी राहत...।



हाइकोर्ट ने याची के विरुद्ध कोई भी उत्पीड़नात्मक कार्यवाही पर अगली सुनवाई तक लगाई रोक..

मनोज तोमर दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स ब्यूरो चीफ गौतमबुद्धनगर 
मेरठ जिले में वर्ष 2010-11 में तैनात जिला कल्याण अधिकारी श्रीमति सुमन गौतम व उनके आफिस में कार्यरत बाबू  संजय त्यागी के ऊपर  मदरसा  संचालकों के साथ मिलकर छात्रवृति घोटाले के आरोप में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सहित अन्य धाराओं में  98 मुकदमा जिले में पंजीकृत किया गया था ।जिसकी जांच 10 साल से चल रही है ।याची वर्तमान समय मे बागपत में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के पद पर है ।
छात्रवृत्ति घोटाले की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन मेरठ के द्वारा जांच की जा रही है याची की ओर से दाखिल अग्रिम जमानत याचिका पर *याची की ओर से  अधिवक्ता सुनील चौधरी ने माननीय न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह के समक्ष बहस में बताया* कि याची वर्ष 2010-11 में मेरठ जिले के 98 मदरसों में छात्रवृत्ति शासन के दिए गए निर्देश पर मदरसो के मैनेजमेंट अकाउंट में छात्रवृति के पैसे ट्रांसफर किए थे। मैनेजमेंट की ड्यूटी थी की छात्रवृत्ति बच्चों को वितरण करें ।याची के  अधिवक्ता ने बताया कि 24 -2-2014 में पहली बार शासनादेश  आया कि छात्रवृत्ति अब बच्चों के खातों में सीधे स्थानांतरित की जाएगी ।याची खुद वर्ष 2010 -11 में मदरसा संचालकों के ऊपर 6 एफ आई आर दर्ज कराकार गबन की गई छात्रवृति  की राशि को रिकवर भी किया था। वर्ष 2012 में नियमानुसार  जिले में 5 साल पूरा होने पर याची का ट्रांसफर शामली हो गया। EOW  की जांच में भी सिर्फ यही आरोप है कि याची ने भारत सरकार के नियमो का पालन न कर मदरसा संचालकों के खातों में छात्रवृत्ति की रकम को स्थानांतरित किया है  और याची ने बच्चों के खातों में सीधे छात्रवृत्ति का ट्रांसफर नहीं किया । याची ने नियमानुसार कार्य किया है  और कोई भी घोटाला में ना तो शामिल रही है और ना ही किया है। याची को बाद में आए वर्ष 2012 के  तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी एस एन पांडे ने फर्जी तरीके से याची के विरुद्ध साजिश के  तहत  कई  एफ आई आर करा कर छात्रवृत्ति गबन किए जाने के अन्य आरोपियों के साथ याची का नाम डालकर शासन को गुमराह किया है  जबकि इनके खिलाफ भरस्टाचार के आरोप में शासन व विजलेंस की जांच भी चल रही है और  वर्ष 2015 तक छात्रवृत्ति मैनेजमेंट के खाते में शासन के निर्देश पर दिया जाता रहा है। हाईकोर्ट के निर्देश पर पुलिस अधीक्षक आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन मेरठ  ने याची के विरुद्ध सभी 98 मुकदमों को एक साथ समाहित  कर अन्वेषण संख्या  65 /2015 के तहत  सारे मुकदमों की जांच एक साथ कर जांच जारी रखी है  और याची के द्वारा दिये गए साक्षय व अभिलेखों  व बयान को  विवेचना में सम्मिलित नहीं किया गया है।  जिस पर हाइकोर्ट ने याची के विरुद्ध कोई भी उत्पीड़नात्मक कार्यवाही पर अगली सुनवाई 19 फरवरी  तक रोक लगा  दिया है और अपर शासकीय अधिवक्ता को 2 सप्ताह में उपरोक्त शासनादेश के संर्दभ में जानकारी लेकर न्यायालय में अवगत कराने का निर्देश दिया है।



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