नाथूराम गोडसे निर्दोष हैं !

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


23 दिसंबर 1926 को दिल्ली में स्वामी श्रद्धानंद जी की हत्या पर महात्मा गांधी बोले थे -- "इस्लाम की रक्षा के लिए अब्दुल रशीद को स्वामी श्रद्धानंद की हत्या करनी पड़ी। मैं अब्दुल रशीद को बेगुनाह मानता हूं । मैं अब्दुल रशीद की तरफ से वकालत करूंगा । स्वामी श्रद्धानंद की हत्या पर शोक मनाना गलत है।"
जब महात्मा गांधी एक हत्यारे अब्दुल रशीद को निर्दोष मानते हैं, तब महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे गुनाहगार कैसे हो सकते हैं ? नाथूराम को भी तो देश व धर्म की रक्षा हेतु ही गांधी की हत्या करनी पड़ी थी। क्योंकि गांधी के कहने पर ही देश का विभाजन हुआ था तदर्थ 35 करोड़ हिंदुओं का कत्लेआम , 10 करोड़ व्यक्तियों का धर्मांतरण और 20 लाख स्त्रियों का ब्लात्कार हुआ था। इन्ही घटनाओं को रोकने के लिए नाथूराम को मजबूरन गांधी वध करना पड़ा।
 जिस प्रकार दुराचारी रावण वध पर श्री राम को, आतताई कंस वध पर श्री कृष्ण को और देश के दुश्मनों और आतंकवादियों को मारने पर सेना को कोई आक्षेप नहीं लगा सकता, वैसे ही नाथूराम पर भी कोई इल्ज़ाम नहीं लग सकता। अतः साध्वी प्रज्ञा जी का नाथूराम जी की वकालत करना उचित ही है।


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