हमारी संस्कृति हमारी सभ्यता हमारे वेद हमारे उपनिषद

फ्यूचर लाइन टाईम्स 



हमारे ऋषि मुनि हमारे महर्षि बार बार पुकार पुकार कर कहते हैं कि हे मनुष्यो ! आप परमात्मा की अमृत मयि संतान हो, आप महान हो, आप शक्ति शाली हो, आप गुणों के भंडार हो आप अपनी शक्तियों को पहचानने का प्रयास करो ! आप अपने भीतर कभी भी तुच्छ, हीन, नीच, हेय, पतित की भावना को उजागर मत होने दो !
किसी विद्वान महानुभाव ने बहुत ही सुंदर संदेश दिया है :


अमृतस्य पुत्रा वयं सबलं सदयं नो हृदयम् ॥ 
गतमितिहासं पुनरुन्नेतुं युवसङ्घटनं नवमिह कर्तुम् ॥ 


भारतकीर्तिं दिशि दिशि नेतुं दृढसङ्कल्पा विपदि विजेतुम् ।।
ऋषिसन्देशं जगति नयेम सत्त्वशालिनो मनसि भवेम । कष्टसमुद्रं सपदि तरेम स्वीकृतकार्यं न हि त्यजेम ॥ 


दीनजनानां दुःखविमुक्तिं महतां विषये निर्मल भक्तिम् ॥ सेवाकार्ये सन्तत शक्तिं सदा भजेम भगवति रक्तिम् ॥ - गु. गणपय्यहोळ्ळः 


Post a Comment

0 Comments