सोने के मंदिरों से हिन्दू समाज का भला कैसे हो सकता है?

फ्यूचर लाइन टाईम्स,दिनांक अक्टूबर 29,2019


डॉ विवेक आर्य


(पाखंड खंडन लेखमाला के अंतर्गत प्रकाशित)


हिन्दू समाज ने सबसे ज्यादा प्रगति अज्ञानता और अन्धविश्वास के रूप में की हैं। एक समय मंदिरों में इतना धन इक्कट्ठा कर दिया गया की कोई भी मुस्लिम आक्रान्ता हमला करके तिनके की भांति हिन्दुओं की रक्षा पंक्ति को तोड़ देता और मंदिरों को लूट कर मूर्तियों को अपमानित करता था, अच्छा होता अगर उन मूर्तियों और मंदिरों को भव्य बनाने के स्थान पर उन धन से हिन्दू फौजों को शक्तिशाली बनाया जाता। जिससे की शत्रु को मुहतोड़ उत्तर दिया जाता। तमिल नाडू, आंध्र प्रदेश,कर्णाटक, केरला आज ईसाई धर्म अंतरण के गढ़ बने हुए हैं। ईसाई लोग धन के बल पर गरीब हिन्दुओं को रोटी,रोजगार,चिकित्सा सुविधा और शिक्षा देकर धर्म परिवर्तन करते हैं। हिन्दू समाज कबूतर की भांति आंख बंद कर मंदिरों में अपने धन और सामर्थ्य को व्यय करने में लगा हुआ हैं। अभी अभी वेल्लोर नामक स्थान में दक्षिण भारत में लगभग 500 करोड़ की लागत से सोने का स्वर्ण मंदिर बनाया गया। हमारा उनसे एक खुला प्रश्न है कि किसी भी धर्मशास्त्र का प्रमाण प्रस्तुत करे जिसमे यह कहा गया है कि ईश्वर उस मंदिर में पूजा करने से अधिक आशीर्वाद देता है जहाँ उनकी सोने की हीरे जड़ित मूर्ति हो और उस मंदिर की दीवारों पर सोने की परत चढ़ी हो। इस अंधविश्वास की पराकाष्टा तो तब हो गई जब इंग्लैंड में हिन्दुओं ने एक मंदिर में मदर टेरेसा जिसने अपना पूरा जीवन हिन्दुओं को ईसाई बनाने में लगाया की मूर्ति स्थापित कर दी गई। मेरा सभी हिन्दू भाइयों से अनुरोध है कि अपनी शक्ति और सामर्थ्य को धर्म,देश और जाति के कल्याण में लगायें अन्यथा जैसे पूर्व में विधर्मी आक्रान्ताओं ने हिन्दू मंदिरों का विध्वंश किया था। उसी प्रकार इनका भी करने का अंदेशा है। संभवत अपने इतिहास से हिन्दुओं ने कुछ नहीं सिखा अन्यथा ऐसी गलतियां नहीं करते। इस लेख के साथ 500 करोड़ में बने सोने के मंदिर का चित्र दिया गया हैं। पाठक बुद्धि का प्रयोग कर उत्तर दे।


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