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गाय मिलेगी घूरे पर !

राजेश बैरागी
गौसंरक्षण के इस जज्बाती दौर में गाय और उसके वंश को ढूंढना थोड़ा मुश्किल काम हो गया है। किसी धर्मसमझ रखने वाले सज्जन ने बिगड़े हालात को काबू करने के लिए सुबह सवेरे गाय को कुछ खिलाने का सुझाव दिया। यह कोई बड़ा काम नहीं था। सुबह उठकर दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होने के बाद आटे की लोई और गुड़ खिलाने के लिए गाय की खोज प्रारंभ की। कॉलोनी और आसपास कहीं गाय न मिलने पर किसी सुधीजन से पूछा तो उन्होंने बताया कि उधर जो कॉलोनी का कूड़ा डाला जाता है वहां जाइये गाय मिल जाएगी।यह पता पक्का निकला। अद्भुत दृश्य था।गाय माता और उसके वंशज जीवन के संघर्ष में कूड़े की चमड़ी उधेड़ रहे थे ये सभी आवारा नहीं थे। उनके कथित स्वामियों ने अपना काम निकालकर उन्हें नरक में जाने की खुली छूट प्रदान की थी। सुना था किसी चतुर व्यक्ति ने एक नौकर रखा जिसे गुरुद्वारे से खुद खाना खाकर मालिक के लिए खाना लेकर आने की जिम्मेदारी दी गई। कूड़े के ढेर पर यह हास्य सच हो रहा था। अगला चरण अतिरंजित है।गऊरक्षकों की तलाश की गई। मालूम हुआ वो सब किसी हाईवे पर अवैध रूप से ले जाये जा रहे गौवंश की रक्षा के लिए मॉब लिंचिंग करने गए हुए थे (फ्यूचर लाईन टाईम्स हिंदी साप्ताहिक नौएडा)


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