प्रशासन की निगाह में गैंगस्टर बिल्डर !

प्राधिकरण द्वारा आवंटित भूमि पर फ्लैट बनाकर बेचना न केवल महंगा है बल्कि गरीब लोगों को अपोलो जैसे अस्पताल में इलाज कराने के बराबर है -:राजेश बैरागी-
गौतमबुद्धनगर जिला प्रशासन हाथ धोकर उन बिल्डरों के पीछे पड़ गया है जिनपर नियमों की अवहेलना कर बिल्डिंग बनाने का आरोप है। इन्हें गैंगस्टर और रासुका की जंजीरों में जकड़ा जा रहा है। कौन हैं ये बिल्डर? गांव, गली, शहरों, महानगरों में झोलाछाप डॉक्टर जिस प्रकार सरकारी चिकित्सालयों की पहुंच से दूर गरीब जनता को सस्ता इलाज मुहैया कराते हैं ठीक उसी प्रकार ये बिल्डर हैं। थोड़ी पूंजी में अच्छे आशियाने की इच्छा रखने वाले लोगों को ये बिल्डर राहत देते हैं। कृषि भूमि अथवा गांव की आबादी के निकट खाली पड़ी भूमि पर कई मंजिला भवन बनाकर बेचना फायदे का सौदा तो है ही, गरीब लोगों की उम्मीदों का गंतव्य भी है। प्राधिकरणों द्वारा आवंटित भूमि पर फ्लैट बनाकर बेचना न केवल महंगा है बल्कि गरीब लोगों को अपोलो जैसे अस्पताल में इलाज कराने के बराबर है। जैसे महंगी चिकित्सा और गरीब रोगियों के बीच झोलाछाप डॉक्टर राहत का प्रतीक है उसी प्रकार ये बिल्डर हैं। परंतु सरकारें चिकित्सा सुविधाओं को चाक चौबंद करने के बजाय झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करती हैं, सस्ते मकान न देकर छुटभैये बिल्डरों पर रासुका और गैंगस्टर लगाती है। क्या यह उचित तरीका है? यह सवाल इसलिए भी फिजूल है कि इस सब के गुनहगार/ जिम्मेदार अधिकारियों को तो रासुका और गैंगस्टर का पता तक नहीं है।(फ्यूचर लाईन टाइम्स हिंदी साप्ताहिक नौएडा)


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