दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. संपूर्णानंद मल्ल की नई कृति — “सम्पूर्ण गुर्जर प्रतिहार राजवंश का इतिहास” ने खोले भारतीय गौरव के नए आयाम
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश):
दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रख्यात विद्वान और इतिहासकार डॉ. संपूर्णानंद मल्ल ‘पूर्वांचल गांधी’ की नई शोधपरक पुस्तक “सम्पूर्ण गुर्जर प्रतिहार राजवंश का इतिहास — कला एवं संस्कृति” ने भारतीय इतिहास के एक स्वर्णिम अध्याय को नई रोशनी में प्रस्तुत किया है।
यह कृति इतिहास शोध संस्थान, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित की गई है। इसमें डॉ. मल्ल ने गुर्जर प्रतिहार नागभट्ट प्रथम, नागभट्ट द्वितीय और सम्राट मिहिर भोज सहित तमाम गुर्जर शासकों के अद्भुत शासन, कला, संस्कृति और सैन्य शक्ति का गहन विश्लेषण किया है।
पुस्तक में यह प्रमाणित किया गया है कि गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य न केवल उत्तर भारत की एकता का प्रहरी था, बल्कि उसने भारतीय संस्कृति, स्थापत्य कला और धर्म-संरक्षण को भी स्वर्ण युग प्रदान किया।
सम्राट मिहिर भोज की राष्ट्रनिष्ठा, धार्मिक सहिष्णुता और अद्वितीय नेतृत्व को डॉ. मल्ल ने भारतीय इतिहास की केंद्रीय धारा में पुनः स्थापित किया है।
डॉ. मल्ल का कहना है —
“गुर्जर प्रतिहारों ने भारत की सांस्कृतिक आत्मा की रक्षा की। यह ग्रंथ उस गौरवशाली परंपरा को आज की पीढ़ी तक पहुँचाने का प्रयास है।”
इस ऐतिहासिक कृति में शोध के साथ-साथ समाज की जड़ों से जुड़ी संवेदनशीलता भी झलकती है।
इतिहास शोध संस्थान, गोरखपुर के अनुसार, यह ग्रंथ शिक्षा, संस्कृति और इतिहास के विद्यार्थियों के लिए “भारतीय गौरव का जीवंत दस्तावेज़” सिद्ध होगा।
प्रकाशक: इतिहास शोध संस्थान, गोरखपुर
लेखक: डॉ. संपूर्णानंद मल्ल ‘पूर्वांचल गांधी’,
पीएच.डी. इन हिंदी, फैकल्टी ऑफ सोशल साइंसेज़, दिल्ली विश्वविद्यालय
संपर्क सूत्र: 9411492550
0 टिप्पणियाँ