वैश्विक परिदृश्य में भारतीय प्राच्य ज्ञान पर राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन


मनोज तोमर ब्यूरो चीफ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतम बुद्ध नगर
गौतम बुद्ध नगर आज दिनांक 5 मई 2023 को कुमारी मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय बादलपुर गौतम बुध नगर एवं वैश्विक संस्कृति मंच मेरठ मंडल उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्त्वावधान में राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन किया गया । जिसका विषय था - वैश्विक परिदृश्य में भारतीय प्राच्य ज्ञान । ई -संगोष्ठी के मुख्य वक्ता  प्रोफेसर डॉ प्रयाग नारायण मिश्र संस्कृत विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज थे ।कार्यक्रम की अध्यक्षा महाविद्यालय  की  प्राचार्या प्रोफेसर डॉ दिव्या नाथ रही । कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ मां सरस्वती वंदना से किया गया । संगोष्ठी का संचालन संयोजिका डॉ नीलम शर्मा, सहायक आचार्या संस्कृत विभाग कु॰ मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय बादलपुर गौतम बुद्ध नगर एवं अध्यक्ष वैश्विक संस्कृत मंच मेरठ मंडल उत्तर प्रदेश प्रांत द्वारा किया गया ।  समस्त प्रतिभागियों एवं अतिथियों का स्वागत संगोष्ठी की समन्वयिका एवं संस्कृत विभागाध्यक्षा प्रोफेसर डॉ दीप्ति वाजपेयी द्वारा किया गया । उन्होंने राष्ट्रीय संगोष्ठी के विषय का प्रवर्तन करते हुए सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया । कार्यक्रम की अध्यक्षा प्रोफेसर डॉ दिव्या नाथ प्राचार्या कुमारी मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय बादलपुर गौतमबुद्धनगर ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति विश्व की सबसे समृद्ध और प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है । मनुष्य जीवन से जुड़े प्रत्येक पक्ष पर हमारे प्राच्य ज्ञान में पाए जाने वाले अनमोल मोती हमारा सदैव मार्गदर्शन करते हैं । भारतीय संस्कृति को मानव संस्कृति कहा जा सकता है एवं विश्व की प्राचीनतम संस्कृत भाषा प्राच्य ज्ञान के द्वार खोलती हैं । उन्होंने भारतीय ग्रंथों में निहित प्राच्य ज्ञान का आधुनिक तकनीक से समन्वय स्थापित कर वैश्विक स्तर पर प्रचार प्रसार किया जाए ताकि संपूर्ण विश्व का हित हो सके । तत्पश्चात कार्यक्रम की संयोजिका डॉ नीलम शर्मा द्वारा विस्तृत रूप से संगोष्ठी के विषय पर प्रकाश डाला गया एवं कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफ़ेसर प्रयाग नारायण मिश्र का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया गया । तत्पश्चात कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर प्रयाग नारायण मिश्र ने अपने वक्तव्य में भारतीय प्राच्य ज्ञान की अवधारणा एवं 'वेदोऽखिलो धर्ममूलम् ' की उद्घोषणा के साथ संपूर्ण विद्याओं एवं ज्ञान की शाखा प्रशाखाओं का मूल स्रोत वैदिक वांग्मय को बताया । उन्होंने विस्तृत रूप से आयुर्वेद ज्योतिष गणित वैदिक गणित विज्ञान सैन्य विज्ञान संगीत आदि पर विशिष्ट वक्तव्य दिया । वैश्विक स्तर पर भारतीय ज्ञान परंपरा के सर्वकालिक,  सार्वदेशिक और सार्वभौमिक महत्व को प्रस्तुत करते हुए  उन्होंने सभी को अपने प्राचीन ज्ञान परंपरा को जानने समझने और उसके प्रचार-प्रसार के लिए प्रेरित किया । कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद डॉ कनकलता यादव द्वारा किया गया । कार्यक्रम के  आयोजन  में वैश्विक संस्कृत मंच  के संगठन मंत्री डॉ चंद्र किशोर शास्त्री जी एवं वैश्विक संस्कृत मंच के संस्थापक सचिव डॉ राजेश कुमार मिश्र का अमूल्य योगदान रहा । कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकों अतिरिक्त संपूर्ण देश के अन्य महाविद्यालयों  एवं विश्वविद्यालयों से अनेक प्राध्यापक गण शोधार्थी एवं छात्राओं ने प्रतिभाग किया ।

Post a Comment

0 Comments