मदन भैया के चुनाव मैदान में आने से मुकाबला हुआ रोचक।

राशिद मलिक संवाददाता दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स मुजफ्फरनगर।
 मदन भैया के आने से हॉट सीट बनी खतौली में मतदाताओं ने पकड़ी निर्णय की राह।
खतोली।  भाजपा उम्मीदवार के सजायाफ्ता घोषित होने के बाद रिक्त हुई खतौली विधान सभा क्षेत्र में हो रहा उपचुनाव दिन प्रतिदिन रोचक होता जा रहा है। रालोद सपा गठबंधन और आजाद समाज पार्टी द्वारा समर्थित उम्मीदवार मदन भैया के चुनाव मैदान में उतरने पर मतदाता इस बात से सशंकित थे कि चंद दिनों के चुनाव का सीधा फायदा सत्ता सीन पार्टी को मिलेगा लेकिन चंद दिनों में ही उपचुनाव की तस्वीर कुछ और ही नजर आ रही है। भाजपा के पूर्व विधायक विक्रम सैनी के प्रति क्षेत्रीय मतदाताओं की नाराजगी और सत्ता सीन पार्टी की इनकंबेंसी  रालोद प्रत्याशी मदन भैया को मजबूती प्रदान करती नजर आ रही है क्योंकि सजायाफ्ता होने के बाद भाजपा ने पूर्व विधायक की पत्नी राजकुमारी सैनी पर दांव लगाया है जिसका राजनीतिक अज्ञानता का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। बताया तो यह भी जा रहा है भाजपा प्रत्याशी राजकुमारी सैनी के पति और पूर्व विधायक विक्रम सैनी का गुस्सैल स्वभाव होने की वजह से भाजपाई मतदाता भी नाखुश नजर आ रहे हैं। जिस तरह अभिषेक गुर्जर ने रालोद से टिकट न मिलने पर भाजपा का दामन थाम लिया था ठीक उसी तरह सैनी समाज में भी भाजपा से टिकट पाने की चाह रखने वाले कुछ टिकटार्थी भी भितरघात कर सकते हैं।आम चुनाव 2022 में भाजपा उम्मीदवार से लगभग 16000 मतों से पराजित होने वाले रालोद उम्मीदवार राजपाल सैनी भी मदन भैया के पक्ष में सैनी समाज में खासी सेंध लगाते नजर आ रहे हैं। वैसे भी सैनी समाज में भागीरथी और घोला दो अलग अलग जातीय ग्रुप हैं। इनमें से एक ग्रुप से रालोद के राजपाल सैनी और दूसरे ग्रुप से विक्रम सैनी आते हैं। जिस तरह मदन भैया लोनी क्षेत्र के निवासी हैं इसी तरह भाजपा प्रत्याशी राजकुमारी सैनी मीरापुर विधानसभा क्षेत्र की बाशिंदा है।
इसके अतिरिक्त ब्राह्मण समाज में भी भाजपा प्रत्याशी के प्रति अच्छी खासी नाराजगी नजर आ रही है क्योंकि पिछली सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे दिनेश शर्मा के किसी ब्राह्मण के निजी प्रोग्राम में बगैर सूचना आने पर पूर्व विधायक विक्रम सैनी ने कड़ा विरोध जताया था जो काफी विवादित और चर्चा का विषय बना था। इसके अतिरिक्त पूर्व विधायक विक्रम सैनी का ब्राह्मणों को गाली गलौज करते हुए एक वीडियो भी खूब वायरल हो रहा है। हालांकि ब्राह्मण भाजपा का मूल वोटर है लेकिन ब्राह्मणों का अपमान करने वाले विक्रम सैनी को ब्राह्मण मतदाता इस चुनाव में सबक सिखाने के लिए आतुर नजर आ रहा है। ब्राह्मण मतदाताओं का कहना है कि सीट की हार जीत से सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। अगर त्यागी समाज की बात करें तो
नोएडा में हुए श्रीकांत त्यागी प्रकरण की वजह से त्यागी समाज में भी भाजपा के प्रति घोर निराशा और नाराजगी नजर आ रही है। जैसा की सर्वविदित है कि खतौली विधानसभा क्षेत्र के मांगेराम त्यागी की अगुवाई में त्यागी समाज ने नोएडा में पहुंचकर सत्ता और सरकार के विरुद्ध आयोजित बड़ी जनसभा आयोजन में भाजपा को सबक सिखाने का निर्णय लिया  था। अब उपचुनाव में श्रीकांत त्यागी और मांगेराम त्यागी की अगुवाई में त्यागी समाज भाजपा का खुल कर विरोध कर रहा है।
अगर हम बात करें जाट समाज के मतदाताओं की तो जहां एक तरफ संजीव बालियान सांसद भाजपा प्रत्याशी के लिए दिन रात एक किए हुए हैं वहीं रालोद मुखिया जयंत चौधरी की शिकायत पर रिक्त हुई खतौली सीट उनके सम्मान से जुड़ गई है। जहां तक जाट समाज के नेतृत्व का विषय है तो भले ही संजीव बालियान इस क्षेत्र के सांसद हैं लेकिन जाट समाज रालोद मुखिया जयंत चौधरी को ही अपना नेता मानता है। इसलिए जाट मतदाताओं का अधिसंख्य रुझान रालोद प्रत्याशी के पक्ष में नजर आ रहा है और रालोद मुखिया जयंत चौधरी भी मदन भैया के समर्थन में गांव-गांव प्रचार कर रहे  हैं। इसके अतिरिक्त मुजफ्फरनगर क्षेत्र में किसान यूनियन का भी अच्छा खासा दबदबा है। भारतीय किसान यूनियन के मुखिया राकेश टिकैत और नरेश टिकैत ने भी मदन भैया के समर्थन में अपना पूरा दमखम लगाया हुआ है। क्योंकि रालोद सपा गठबंधन के प्रत्याशी मदन भैया टिकट की घोषणा होते ही से पहले नरेश टिकैत का आशीर्वाद लेने सिसौली पहुंचे थे। किसान यूनियन के रिशिपाल अंबावता भी पूरे लाव लश्कर के साथ मदन भैया के पक्ष में चुनावी मैदान में डटे हुए हैं।      
अगर मुस्लिम मतदाताओं की बात करें तो खतौली विधान सभा क्षेत्र के मुस्लिम मतदाता  पूरी तरह से रालोद सपा गठबंधन के प्रत्याशी के पक्ष में पूरी तरह लामबंद नजर आ रहे हैं। वैसे भी उपचुनाव में इस सीट पर बसपा और कांग्रेस पार्टी ने कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा है। इसलिए मुस्लिम मतदाताओं में कोई बिखराव नहीं है।
   अगर हम बात करें दलित मतदाताओं की तो खतौली विधानसभा क्षेत्र में दलित मतदाता भी अच्छी-खासी तादाद में है और इस क्षेत्र में आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण की दलित मतदाताओं पर अच्छी खासी पकड़ है। खतौली क्षेत्र के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में आजाद समाज पार्टी के संगठन में युवा वर्ग बहुत ही सक्रिय नजर आ रहा है। रालोद मुखिया जयंत चौधरी और आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद की संयुक्त रैली भी चुनावी तस्वीर बदलने में काफी महती भूमिका निभाने वाली होगी।आजाद समाज पार्टी का समर्थन रालोद प्रत्याशी के पक्ष में होने से दलित समाज के मतदाताओं का रुझान दिन प्रतिदिन रालोद सपा गठबंधन के प्रत्याशी मदन भैया के पक्ष में बढता नजर आ रहा है।
खतौली क्षेत्र के गुर्जर मतदाताओं में सेंध लगाने के लिए भाजपा ने विभिन्न जिलों के गुर्जर नेताओं को गुर्जर गांवों में उतार दिया है लेकिन मदन भैया के पक्ष में लामबंद हुए गुर्जरों में भाजपा नेता बेअसर नजर आ रहे हैं। भाजपा की लाख कोशिशों के बाद भी रालोद प्रत्याशी मदन भैया के पक्ष में गुर्जर मतदाता लामबंद नजर आ रहा है। मदन भैया के पक्ष में गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, बिजनौर, बागपत, शामली, बड़ौत, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड आदि स्थानों के लोग चुनाव प्रचार में नजर आ रहे हैं। 
जहां एक तरफ भाजपा ने अपने बड़े नेताओं की एक बड़ी फौज खतौली विधानसभा क्षेत्र में उतार दी है वहीं दूसरी तरफ रालोद मुखिया जयंत चौधरी अगुवाई में रालोद सपा गठबंधन के सभी वर्तमान और निवर्तमान विधायकों, पूर्व सांसद व रालोद सपा संगठन के समस्त पदाधिकारियों की फौज विधानसभा क्षेत्र में गांव गांव और गली गली जनसंपर्क कर रही है। अगर पिछले आम चुनाव 2022 पर नजर डालें तो उस चुनाव में चुनाव जीतने वाले भाजपा के विक्रम सैनी के पक्ष में 106551मत पड़े थे दूसरे नंबर पर रालोद सपा गठबंधन के प्रत्याशी राजपाल सैनी को 84306 मत मिले थे और करतार भड़ाना 31412 मत लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे।
लेकिन इस बार खतौली उपचुनाव आमने सामने का चुनाव है। इस चुनाव में भाजपा का मूल वोटर कहे जाने वाले ब्राह्मण और त्यागी समाज के मतदाताओं में भी भाजपा प्रत्याशी से निजी तौर पर नाराजगी के कारण बिखराव नजर आ रहा है और राजपूत समाज से सर्वसम्मत निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरने की वजह से राजपूत समाज में भी भाजपा  एक एक बोट के लिए संघर्ष करती नजर आ रही है। सपा लोकदल गठबंधन की वजह से मुस्लिम भी एकजुट नजर आ रहा है तो वहीं  गुर्जर मतदाता पूरी तरह से मदन भैया के पक्ष में लामबंद नजर आ रहा है। वहीं जाट समाज जयंत चौधरी और भारतीय किसान यूनियन के मुखिया टिकैत बंधुओं के नेतृत्व में रालोद प्रत्याशी के पक्ष में खड़ा हो गया है। इस बार के चुनाव में पाल, प्रजापति और कश्यप समाज का मतदाता भी दोनों प्रत्याशियों के बीच बंटता नजर आ रहा है। भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी है खतौली सीट पर भाजपा भी पूरा दमखम लगाने पर तुली हुई है। लेकिन मतदाताओं के रुझान से ऐसा नजर आ रहा है कि खतौली विधानसभा सीट के मतदाताओं ने इस बार कुछ नया करने का मन में ठान लिया है। दूसरी तरफ प्रशासन भी बड़ी सूझबूझ के साथ चुनाव कराने में जुटा हुआ है क्योंकि यहां के चुनावी समीकरण संवेदनशील नजर आ रहे हैं। इसलिए प्रशासन भी फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। यहां जरा सा भी पक्षपाती रवैया या लापरवाही बडा बवाल खड़ा कर सकती है। हॉट सीट खतौली में रालोद सपा और आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थकों के साथ-साथ भारतीय किसान यूनियन भी चुनाव में किसी भी तरह के पक्षपात और गड़बड़ी को रोकने के हेतु मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह कमर कसकर तैयार है। अब देखना यह है कि हॉट सीट बन चुकी खतौली सीट पर चुनाव में ऊंट किस करवट बैठेगा ? किसको मिलेगा जीत का सेहरा और किसको देखना पड़ेगा हार का मुंह ?

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