जीसस मैरी स्कूल गलती मानने के बजाय बच्चों का एवं उनके माता-पिता का उत्पीड़न करना प्रारंभ कर दिया !

मनोज तोमर ब्यूरो चीफ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतम बुद्ध नगर।
ग्रेटर नोएडा/ दादरी। दादरी निवासी सीए अश्वनी गोयल ने स्कूल प्रबंधक पर आरोप लगाते हुए कहा कि जैसा की विदित है कि प्रार्थी  सीए अश्वनी गोयल  द्वारा एक याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में डाली गई थी जिस के संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रार्थी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए जीसस मैरी स्कूल की जांच के आदेश दिए थे।
किंतु  स्कूल प्रशासन द्वारा छूट देने के बजाय या अपनी गलती मानने के बजाय बच्चों का एवं उनके माता-पिता का उत्पीड़न करना प्रारंभ कर दिया है।
स्कूल द्वारा किसी भी शिकायत का निस्तारण नहीं किया जा रहा है स्कूल के ऐप द्वारा ऐप पर दी गई शिकायत का कोई जवाब नहीं देता है उल्टे बच्चों को अगर स्कूल के ऊपर कुछ क्वेरी डाली जाती है तो बच्चों से कहा जाता है कि आपके माता-पिता तो बहुत ज्यादा शिकायत करते हैं और उनका उत्पीड़न किया जाता उनको डांटा जाता है। 
अब बच्चों को पीछे बैठाया रहा है । 
क्लास का एक पंखा खराब हो गया है उसको बदला नहीं जा रहा है। 
बोर्ड पर रिफ्लेक्शन आ रहा है जिसके कारण बच्चों को नीचे बैठकर कक्षा में पढ़ाई करनी पड़ती है उसका भी निस्तारण पिछले 2 महीने से नहीं हुआ।
इससे पूर्व भी स्कूल द्वारा बच्चों के रिजल्ट फीस न जमा करने का बहाना करके रिजल्ट रोके गए थे बच्चों को आईडेंटिटी कार्ड अभी तक उपलब्ध नहीं कराए गए हैं बच्चों को सिलेबस भी नहीं दिया जा रहा था। 
बच्चों के पेट में दर्द होने पर उनको पूरे दिन से sick  room  में रखा जाता है बजाय उनके माता-पिता को सूचना देने के। 
शायद यह उपरोक्त कार्य स्कूल द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के कारण नाराज होने के कारण किए जा रहे हैं ।पर 
बच्चों के माता-पिता कंज्यूमर कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं क्योंकि उन स्कूल द्वारा अभी सर्विस नहीं दी जा रही। कहीं ना कहीं यह सर्विस में कमी है जो कि कंजूमर कोर्ट के दायरे में आती है। 
इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के बाद अभिभावकों का मनोबल बढ़ा हुआ है अभिभावक मान रहे हैं कि आने वाले समय में स्कूलों द्वारा उचित रूप से फीस ली जाएगी और आने वाले समय में बच्चों के जूते मोजे किताबें ड्रेस उन स्थानों से खरीदी जा सकेंगे जहां उचित मूल्य पर वस्तुएं मिलती है बजाए स्कूल द्वारा चुनी गई दुकानों पर  ्।

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