42 वां दिन भी किसान अपनी मांगों को लेकर गाजीपुर दिल्ली यूपी बॉर्डर पर डटे रहे

फ्यूचर लाइन टाईम्स, पंकज तोमर ब्यूरो चीफ गाजियाबाद ।

गाजियाबाद:-42 वां दिन भी किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली यूपी गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे हुए हैं। किसानों का कहना है जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं हो जाएंगी हम यहां से नहीं हटेंगे चाहे हमें अपनी जान क्यों ना गवानी पड़े। वही कुछ किसानों का कहना है कि अगर कोई नेता या मंत्री का बेटा यहां पर किसानों के लिए खड़ा हुआ होता तो इन लोगों को पता चलता है जिन लोगों को इन्होंने बॉर्डर पर तैनात किया हुआ है क्या उनमें किसी नेता का बेटा है।आए दिन सीमा पर किसानों के हि बेटे जो देश की सेवा मे तैनात है शहीद होते हैं और आज सरकार ने हमें दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर रोकने के लिए हमारे ही बच्चों को हमारे विरुद्ध खड़ा कर रखा है। कई बार वार्तालाप करने के लिए हमसे सरकार ने नए नए बहाने बनाए और अपना फैसला वापस लेने से इंकार कर दिया हम भी अपनी मांगो को लेकर यहा तब तक खड़े रहेंगे जब तक हमारी तीनों मांगे पूरी नहीं हो जाती। हमारे पास किसी भी तरह की कोई कमी नहीं है क्योंकि हमें तो खेतों में भी धूप और बारिश का सामना करके दिल्ली में बैठे नेताओं के घर तक राशन पहुंचाना होता है परंतु अब हम ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि यह लोग हमारे पक्ष के बारे में जरा सा भी सोचने के लिए तैयार नहीं है ।

आंदोलन में शामिल किसानों का कहना है कि जब तीनों कृषि बिलों का फायदा किसानों को नजर नहीं आ रहा है तो क्यों भारत सरकार इन कानूनों को किसानों के ऊपर थोपने की कोशिश कर रही है।  इस दौरान सरकार और किसान नेताओं की लगातार मुलाकातों के दौर चल रहे हैं जिसमें बिना किसी निश्कर्ष के आगे की तारीख पर वार्ता को टाल दिया जा रहा है परंतु कोई समाधान निकलता हुआ नजर नहीं आ रहा है। आंदोलन मे शामिल किसानों का कहना है कि आवश्यक वस्तु भंडारण अधिनियम एक तरीके से पूंजी पतियों के लिए ही सरकार द्वारा बनाया गया है और आखिर सरकार को एमएसपी कि जो मांग किसान वर्षों से करते चले आ रहे हैं उस पर सरकार का ढुलमुल रवैया काबिले बर्दाश्त नहीं । इस मौके पर हमारे संवाददाता पंकज तोमर ने आंदोलनरत किसान व किसान नेताओं से बातचीत की...... 

पंजाब, उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों से आए किसानों का कहना है जब तक सरकार उनकी मांगों को पूरी तरीके से नहीं मानेगी तब तक किसान आंदोलन यूं ही चलता रहेगा और साथ ही इस मौके पर कुछ किसानों का कहना था कि हम वह किसान है जो सर्दी, गर्मी, बरसात हर प्रकार के मौसम में जमीन से अनाज उगा सकते हैं तो ऐसे में सरकार ऐसा बिल्कुल भी ना सोचे कि मौसम की मार या भूख से हम विचलित हो जाएंगे क्योंकि हम अन्नदाता है जो वर्षों से पूरे देश को अनाज उगा कर देते चले आ रहे हैं। अब देखना यह होगा कि भारत सरकार और किसान आंदोलन कर रहे किसान नेताओं के बीच समझौता कब तक हो पाता है।

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