आत्मा भी अत्यंत सूक्ष्म है।एक सुई की नोक पर भी वह करोडों की संख्या में  विद्यमान

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


जब आत्मा भी अत्यंत सूक्ष्म है।एक सुई की नोक पर भी वह करोडों की संख्या में  विद्यमान हो सकती है,तो ध्वनि कैसे साकार हो सकती है? किसी पदार्थ का हमारे सापेक्षिक रूप से अत्यंत सूक्ष्म होने का अर्थ यदि हम उसके निराकार होने से करते है,तो यह हमारी भूल होगी। जब उच्च आव्रतिकी के डी.जे आदि की तेज आवाज के सूक्ष्म कण घरों के शीशे आदि से टकराते है,तो शीशे आदि भी कम्पन करने लगते है। जो साकार है,उसमें निराकार पदार्थ व्यापक तो होता है,किंतु वह उससे संयुक्त नही हो सकता है,क्योंकि साकार पदार्थ ही किसी दूसरे साकार पदार्थ से संयुक्त हो सकता है। क्या वेदों और महर्षि दयानंद के अनुसार भी ध्वनि निराकार है? किसने ,क्या कहा या माना यह कोई तर्क नही हो सकता है या किसी कथन या बात के सही होने का पैमाना भी नही हो सकता है।ध्वनि सौ फीसदी साकार ही है।उसका निवास स्थान भले ही निराकार  आकाश हो,लेकिन वह होती साकार ही है।


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