शीर्ष नेताओं की असमय मौतों पर सवाल
-राजेश बैरागी-
एक प्रिय संबंधी ने फोन कर अरुण जेटली के असमय निधन पर दुःख व्यक्त करते हुए इस ओर ध्यान दिलाया कि भाजपा के पीछे यमराज उसी प्रकार लगे हैं जिस प्रकार ईडी और सीबीआई कांग्रेस के पीछे।साथी पत्रकार देव गुर्जर ने भी अपनी पोस्ट में यही बात कही है। अरुण जेटली और उनसे पहले सुषमा स्वराज का इतनी उम्र में यूं चला जाना दुखद है। शीला दीक्षित की आयु भी बहुत ज्यादा नहीं थी।ये सभी अनुभवी और सर्वमान्य नेता थे। परंतु काल के अचूक प्रहार से कौन बच सका है। हालांकि इन नेताओं की इस प्रकार अचानक मौतों से कुछ प्रश्न खड़े हो गए हैं। मसलन इन नेताओं की जीवनशैली क्या है? क्या इन्हें प्रतिदिन समय पर खान-पान नसीब होता है? एक अन्य पत्रकार साथी गुलाब सिंह भाटी ने एक बार ऐसी आशंका जताई थी कि अत्यधिक मानसिक श्रम, तनाव और कैटरिंग का नियमित खाना(चाहे वह जितना हाईजेनिक हो) से इन नेताओं की देह खोखली हो जाती है। तो फिर इनके चेहरों पर इतना ग्लो और ताजगी कैसे दिखाई देती है? एक विशेषज्ञ के अनुसार मसाज, मेकअप और निरंतर मिलने वाला सम्मान इन सूखे गुलाबों को मुरझाने नहीं देता। किसी शायर ने सही कहा था,- कितने बड़े हैं हम, रीते घड़े हैं हम। कहने को राजसिंहासन है पर सूली चढ़े हैं हम।(फ्यूचर लाईन टाइम्स हिंदी साप्ताहिक नौएडा)
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