कुछ तो करो इमरान किराए पर दे दो पाकिस्तान !

हास्य-व्यंग्य
राजेश बैरागी   -    नौबत यहां तक आ पहुंची है कि सरकारी बैठकों में चाय नाश्ता भी प्रतिबंधित कर दिया गया है तो हालात समझने में मुश्किल नहीं होनी चाहिए। व्हाट्स ऐप यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि हमारे प्रधानमंत्री के प्रयासों से पड़ोसी के हाथों में कटोरा आ गया है। हालांकि यह बुरी बात है परंतु दो दिन पहले जब वहां के प्रधानमंत्री जनाब इमरान खान ने दुनिया के मुस्लिम मुल्कों के सामने अपने दोनों हाथ पसार दिए तो यकीन करना पड़ा। दरअसल पाकिस्तान के हुक्मरानों ने पिछले सात दशकों में जो विषबेल बोई थीं वो वक्त के साथ इतनी लहलहाईं कि वहां की अवाम के लिए जीने के लाले पड़ गए। ऐसे में इमरान फौज खान के आगे कटोरा लेकर घूमने का ही विकल्प बचता है। चूंकि हम संवेदनशील पड़ोसी हैं लिहाजा सलाह देना हमारा फर्ज है। वैसे अपने यहां सलाह देना एक आदत भी है। मसलन खुद मीठा खाने की आदत से मजबूर लोग शुगर के मरीज को नीम के पत्ते चबाने की सलाह देने पहुंच जाते हैं। ऐसे ही कब्ज से परेशान लोग दूसरों का हाजमा दुरुस्त करने की फ़िक्र में दुबले होते रहते हैं। यहां तो चाय नाश्ते से महरूम पड़ोसी की बात है तो सलाह यह है कि बिना देर किए अपने मुल्क को किराए पर उठा दें। इससे अवाम का भला भी होगा और हुक्मरानों की अय्याशी भी बदस्तूर जारी रहेंगी। यदि ऐसा करना मुमकिन न हो तो कम से कम परमाणु बमों के जखीरे को तो किराए पर दिया ही जा सकता है।यह जखीरा उस देश पर एक बोझ है जिसे उठाए रखने से उसकी कमर टूटी जाती है और इस बोझ को ले जाना कहीं है नहीं। सलाह समझ न आयी हो तो हम दुबारा सलाह देने के लिए भी तैयार रहते हैं और बुरी लगी हो तो हमारे ठेंगे से। (फ्यूचर लाईन टाइम्स हिंदी साप्ताहिक नौएडा)


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