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गई जीडीपी पानी में कैसे पूरा होगा 5 ट्रिलियन डॉलर का सपना

रिपोर्टर मनोज तोमर , नोएडा :- आगर आम नागरिक बोले कि भारत आर्थिक संकट से जूझ रहा तो सत्ताधारी पार्टी के प्रवक्ता इस पे बड़े बड़े सबाल उठाएंगे लेकिन जब पूंजीपति वर्ग के लोग सवाल करें तो इससे साफ ज़ाहिर होता है कि भारत की अर्थव्यवस्था आर्थिक संकट से जूझ हीं रहा है। पूंजीपतियों वर्ग के लोग हीं इस बात को नहीं कर रहें है यहाँ तक कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भी सरकार पर सवाल करते हुए कहा कि भारत भारत के सबसे ख़राब दौर से गुज़र रही है।ऑटोमोबाइल की तमाम बड़ी कंपनियां चाहे वो मारुति-सुजुकी हो या टाटा हो या बजाज इन सारी कंपनियों में उत्पादन और बिक्री में असातीत कमी आयी है। जिसके कारण बहुत सारे लोगों को अपने नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है। मारुति सुजुकी ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि जुलाई में कार निर्माण में कुल 36% की गिराबट दर्ज़ की गई है जिसके कारण 3.5 लाख लोगों की नौकरियां चली गई है तो वही लाखों लोगों के नौकरियों पर ख़तरा मंडरा रहा है। इसी को देखते हुए मारुति ने 25 फ़ीसदी उत्पादन कम कर दिया है । गुरुग्राम को साइबर हब कहा जाता है जुलाई से पहले 6000 कुल कारें बनकर तैयार होती थी लेकिन अब सिर्फ़ 1500 हीं निर्माण हो रही है जिसके चलते सिर्फ़ गुरुग्राम से 600 इम्प्लॉय को अपने नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। पूरे देश की अगर बात करें तो कुल 300 कारों की शोरूम में ताला लटक गया है जिससे 32000 से अधिक लोगों का नौकरी चला गया है। बताया जाता है कि ऑटो इंडस्ट्री से कुल 80 लाख से भी अधिक लोग जुड़े हुए हैं सवाल ये भी उठता है कि अगर हालात ऐसा हीं रहा तो इनलोगों के नौकरियों के क्या होगा ? ये तो हाल ऑटोमोबाइल कंपनियों का है अब मैं आपको टेक्सटाइल और रियल स्टेट सेक्टर का बतलाता हूँ, टेक्सटाइल सेक्टर में भी हालात कुछ ऐसा हीं है  25-30 लाख लोगों के ऊपर ख़तरा मंडरा रहा है। अगर रियल स्टेट सेक्टर की बात की जाए तो इसका भी हालत डेंजर ज़ोन में चला गया है। मार्च 2019 तक 30 बड़े सहारों में 12.80 हज़ार से अधिक मकान बनकर तैयार हुआ है लेकिन उसे खरीदने वाला कोई नहीं है,यानी बिल्डर जिस गति से मकान बना रहे है ग्राहक उस गति से मकान ख़रीदने को तैयार नहीं है तो इससे स्पष्ट ज़ाहिर होता है कि देश घोर मंदी में चला गया है। 
मोदी जी का सपना कैसे होगा पूरा ?
जब प्रधानमंत्री लाल किले से देश को संबोधित करते हुए बोल रहे थे तो लोगों के जहन में एक खुशी का माहौल बना था लगता था कि सच में 2024 तक भारत का इकोनॉमी 5 ट्रिलियन को पार कर जाएगा लेकिन अगर अभी का हालात देखा जाए तो वो खुशी मातम में तब्दील होते नज़र आ रहा है। जी.डी.पी यानी (सकल घरेलू उत्पाद) ने ऐसी करबट ली है कि 8% से कम होकर अप्रैल- जून में भारत का विकास दर  5% पर आकर अटक गई है। रुपिया का हस्र क्या है वो इस बात से लगाया जा सकता है कि 1$ 71.42 रुपिया के बराबर हो गया है। हालात इतना ख़राब है कि भारत सरकार ने 1.76 लाख करोड़ रुपये आर.बी.आई से रिज़र्व फंड लिया है।


चीन से काफ़ी पीछे भारत।
जिस प्रकार भारत का विकास दर के अंधेरा में चल रहा उसी को देखते हुए चीन ने भारत के अर्थव्यवस्था को लताड़ते हुए आगे निकल गया है। इस साल अप्रैल-जून तिमाही में चीन का विकास दर 6.2 फ़ीसदी रही थी, जो उसकी की चीन की 27 सालों में सबसे सुस्त वृद्धि थी। इससे पहली छमाही में विकास दर 5.8 से6.6 फ़ीसदी के दायरें में रहने का अनुमान ज़ाहिर किया था, जबकि जून के आरबीआई ने इस दौरान विकास की चिंताओं के मद्देनजर मांग को बढ़ाए जाने पर जोर दिया था।


अर्थव्यवस्था जल्द हीं पटरी पर लौट आएगी।
व्यापार युद्ध, वैश्विक चिंताओं के चलते जी.डी.पी में यह सुस्ती देखने को मिला रही है सरकार विकास को गति देने के लिए सभी क़दम उठा रही है। अर्थव्यवस्था जल्द हीं पटरी पर लौट आएगी :- *कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन* मुख्य आर्थिक सलाहकार
 
आखिरकार आर्थिक संकट आया क्यों ?
पहला कारण:- अर्थशास्त्री मानते है कि नोटेबन्दी एक ऐसा फैसला था जिसके लागू होने के ठीक बाद इंडियन इको रेट का नीचे गिरनी सुरु हो गई थी मनमोहन सिंह ने कहा था कि इसका असर आज नहीं आने वाला समय में देखा जाएगा और आज क्या हालत है वो आपके सामने है। 
दूसरा कारण:- दूसरा सबसे बड़ा कारण है जी.एस.टी अगर देखा जाए तो जी.एस.टी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत हीं अच्छे कदम थे लेकिन जिस तरह इसे देश में पेश किया गया जिसको समझना कंपनियों और आम लोगों के लिए काफ़ी मुश्किल था।
तीसरा सबसे बड़ा कारण था बजट 2019 दुनियाभर के investor को और स्टॉक मार्केट को ये बजट पसंद नहीं आयी स्टॉक मार्केट पूरी तरह से गिर गई और foregn Investors जिन्होंने इंडिया में रुपिया invest किया था उसमें से 22.5 billian रुपये वापिस ले लिया।
चौथा सबसे बड़ा कारण है बेरोजगारी और employment पिछले 45 सालों में सबसे पीछे चल रहा है। लोगों के पास नौकरी है लेकिन उनकी तनख्वाह जैसा का तैसा है।05. सबसे बड़ा कारण है सरकार में अर्थव्यवस्था कैसे बचाया जाए ये सोचने वाला कोई नहीं है मैं ये इस लिए बोल रहा हूँ क्योंकि धीरे-धीरे सारे लोग ने Resign कर दिया जैसे की सबसे पहले दिसंबर 2018 में आर.बी.आई के गवर्नर रघुराम राजन ने इस्तीफ़ा दे दिया, अगस्त 2017 में नीति आयोग के वी.सी ने इस्तिफा दे दिया!आखिरकार अर्थव्यवस्था सही कैसे होगा !
इस सभी को दूर करने के लिए सबसे आसान तरीका है सरकार में पढ़े लिखे लोगों को जगह दें और अधिकारियों को काम करने के लिए independence दे। इसका जीत जागता उदाहरण है आप आप के हीं देश में देख सकतें है। देश की राजघानी राजधानी दिल्ली को ही देख सकतें है जहाँ पूरे देश की अर्थव्यवस्था खतरे में है तो वही दिल्ली की स्टेट economy बहुत ही तेजी से आगे बढ़ रही है। दिल्ली का स्टेट इकॉनमी बहुत हीं तेजी से आगे बढ़ रहा है दिल्ली का सकल घरेलू उत्पाद का दर 8.6% है ये फरबरी का है। लेकिन पिछले तीन सालों को देखें तो दिल्ली का ग्रोथ रेट बढ़ते हीं जा रहा है। टैक्स कॉलेक्शन में 17.6% का increase आया है। इसके वाबजूद दिल्ली को फ्री पनि आधे दाम में बिजली दी जाती है, फ्री एजुकेशन दी जाती है। आपके जहन में एक सवाल उठ रहा होगा ! की सिर्फ़ दिल्ली में हीं ऐसा क्यों हो रहा है तो आपको बतलाता हूँ दिल्ली की मुख्यमंत्री जो कि iit एडुकेटेड पढ़े लिखे इंसान है। दूसरे तरफ़ केंद्र में ऐसे फ़र्जी नेता भरे पड़े है जिनके डिग्रियों पर  हमेशा कोई न कोई सवाल उठते रहता है। ऐसे भरे पड़े है जिनको सिर्फ़ हिन्दू मुसलमान इंडिया पाकिस्तान के अलावा कुछ नज़र हीं नहीं आता।


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