राजेश बैरागी,गौतमबुद्धनगर : पुलिस प्रशासन द्वारा चार कथित पत्रकारों की गिरफ्तारी के बाद इस जिले में मीडिया और पुलिस प्रशासन के रिश्तों पर सवाल खड़े हो गए हैं। जिस प्रकार जिलाधिकारी व पुलिस कप्तान ने बंदी बनाये गये लोगों के अपराधिक तौर तरीके बताए हैं उससे सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार की गंध भी साफ साफ महसूस की जा सकती है।
गौतमबुद्धनगर पुलिस ने एक बार फिर चार कथित पत्रकारों को गिरफ्तार किया है। इनपर ब्लैकमेलिंग के लिए समाचार साधनों का दुरुपयोग करने और पुलिस प्रशासन से गलत काम कराने के आरोप लगाये गये हैं।ये वही कथित पत्रकार हैं जिन्हें ३० जनवरी २०१९ को थाना सेक्टर २० में प्रभारी निरीक्षक मनोज पंत के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था। मामले की गंभीरता ऐसे समझी जा सकती है कि पांच कथित पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और चार को गिरफ्तार करने की सूचना सार्वजनिक करने के लिए जिलाधिकारी व पुलिस कप्तान ने साझा प्रैस वार्ता की। प्रैस वार्ता में सर्वप्रथम दोनों शीर्ष अधिकारियों ने थानाप्रभारियों की नियुक्ति में तय नियमों के पालन करने संबंधी सफाई पेश करने के साथ मीडिया के प्रति किसी दुराग्रह से काम नहीं करने की प्रतिबद्धता भी जताई। पकड़ में लिये गये लोगों की अपराधिक गतिविधियों के बारे में बताया गया कि ये लोग समाचार साधनों का बेजा इस्तेमाल कर पुलिस प्रशासन पर गलत कार्यों का दबाव बनाते थे, ऐसे कार्यों के बदले जो पैसा कमाते थे उसमें से मात्र २५% ही संबंधित विभाग या अधिकारी को देते थे।
सवाल उठता है कि पकड़े गए लोगों के द्वारा वो कौन से काम हैं और उन्हें मात्र २५% पर करने वाले कौन से सरकारी मुलाजिम। इस बारे में कुछ नहीं बताया गया है।हो सकता है अदालत को बताया जाए और तब ब्लैकमेलिंग के शिकार सरकारी मुलाजिम भी बतौर पीड़ित अथवा बतौर गवाह भी अदालत में दिखाई दें। पिछले कुछ समय से जिले में फर्जी पत्रकारों, फर्जी अधिकारियों को पकड़ा जा रहा है। कुछ समय पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ महेश शर्मा को ब्लैकमेल करने वाले एक पत्रकार सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था। यह सब सही है तो किसको ऐतराज। परंतु गिद्धों के शिकार के बहाने परिंदों का कत्ल न हो इतना ख्याल रखना जरूरी है । (फ्यूचर लाईन टाइम्स हिंदी साप्ताहिक )
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