राजेश बैरागी :
कैरियर की शुरुआत में आमतौर पर लगभग सभी लोग जो जो कार्य कर जाते हैं बाद में बडा आदमी बनने पर उन्हीं कार्यों के आधार पर उनका महिमा मंडन अथवा आलोचना की जाती है। दिवंगत अरुण जेटली वकील, राजनेता और क्रिकेट प्रेमी थे। सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने तक उन्होंने भी अनेक ऐसे कार्य किए जिनकी उस समय और बाद में भी आलोचना की गई। उनकी मृत्यु के पश्चात उन्हें प्रखर राजनीतिज्ञ,उदार हृदय, यारों के यार बताया जा रहा है तो कुछ लोग उन्हें भोपाल गैस काण्ड के दोषी वारेन एंडरसन के वकील,१८० करोड़ की अकूत संपत्ति के मालिक, डीडीसीए में धन की हेरा-फेरी के लिए जिम्मेदार मानते हुए आज आलोचना कर रहे हैं। नवोदय विद्यालय के एक मास्टर जी तो सरकारी कर्मचारियों की पेंशन बंद कराने के लिए उनके घोर आलोचक हो गये हैं।हम सभी उन्हें किसी न किसी कारण से कोस सकते हैं। मेरी पढ़ी सुनी जानकारी के अनुसार जेटली देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गॉडफादर थे। उन्हें देश में कई खिचड़ी सरकारों को सत्ता से बेदखल करने वाले नेता के रूप में याद रखा जा सकता है।नोटबंदी जैसे ऐतिहासिक निर्णय में उनकी भूमिका कितनी थी, इस प्रश्न का उत्तर शायद कभी न मिले। उन्होंने कभी इसका श्रेय लिया भी नहीं जबकि वे वित्तमंत्री थे। लोकतंत्र को अपनी सुविधा से उपयोग करना परंतु दोष से बचे रहना,यह जेटली जी के जीवन से सीखा जा सकता है परंतु सरकारी कर्मचारियों की पेंशन सुविधा समाप्त करना तो देशहित में है। परंतु शिक्षकों को कौन शिक्षित कर सकता है।(फ्यूचर लाईन टाइम्स हिंदी साप्ताहिक नौएडा)
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