नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने अन्नदाताओं को बनाया भिखारी !

दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतम बुद्ध नगर।
नोएडा की स्थापना संजय गांधी की पहल से यूपी औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम, 1976 के तहत बनाया गया था। इस शहर की प्रति व्यक्ति आय उत्तर प्रदेश में लखनऊ के बाद सबसे अधिक है। नोएडा को विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। नोएडा २०३ वर्ग कि॰मी॰ में फ़ैला है। इसका नाम अंग्रेज़ी के New Okhla Industrial Development Authority न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डवेलपमंट अथॉरिटी के संक्षिप्तीकरण से बना है नोएडा नाम, जो शुरू में न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) शब्द से लिया गया था और ग्रेटर नोएडा की स्थापना 9 जून 1997 को बुलन्दशहर एवं गाजियाबाद जिलों के कुछ ग्रामीण व अर्द्धशहरी क्षेत्रों को काटकर की गयी थी। आज जिला गौतमबुद्धनगर में नोएडा व ग्रेटर नोएडा जैसे व्यावसायिक उप महानगर शामिल हो चुके है। नोएडा के प्रबंधन के तहत एक प्रसिद्ध भारतीय शहर के रूप में खड़ा है लेकिन दोनो प्राधिकरणों का उद्देश्य आम जन के लिए औधोगिक छेत्र का विकास कर गांव एवं देश के बेरोजगार युवाओं रोजगार देना था । क्योंकि किसानों की जमीन प्राधिकरणों ने औने-पौने दामों में लेकर अत्यधिक बेरोजगारी बड़ा दी और नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा के प्लानिंग में औधोगिक छेत्र को विकसित कर औधोगिक छेत्र में कार्यरत कर्मचारियों के लिए औद्योगिक क्षेत्र में आवासीय कालोनियां विकसित करनी थी लेकिन दोनो प्राधिकरणों ने गांवों को उजाड़ा है। नोएडा के मास्टर प्लान के मुताबिक, नोएडा में कुल 163 सेक्टर हैं। नोएडा में सेक्टरों की नंबरिंग सेक्टर 1 से शुरू होकर सेक्टर 168 तक है। जिन में औद्योगिक छेत्र सीमित एरिया में है और आवासीय क्षेत्र अधिक है यही स्थिति ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की है अगर प्राधिकरण समय रहते हुए प्राधिकरण एवं सरकार नहीं जागी तो वह दिन दूर नहीं अन्नदाताओं को भिखारी की स्थिति बन गयी । जिस की जमीन पर ऊंची ऊंची बिल्डिंग खड़ी है एशिया की सबसे महंगी प्रोपर्टी नोएडा अपना स्थान बनाये हुए हैं। नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की अनदेखी की वजह से दोनों प्राधिकरणों के छेत्र में बसा किसान देश का अन्नदाता दो जून की रोटी को भी मोहताज हो रहा है क्योंकि नोएडा व ग्रेटर नोएडा के छेत्र में जमीन किसानों के पास है नहीं और रोजगार के नाम पर कम्पनियों द्वारा लोकल बोलकर बाहर निकाल दिये जाते हैं।

Post a Comment

0 Comments