शेवणघास की अद्भुत बातें हैरान करने वाली है

फ्यूचर लाइन टाईम्स, दिनांक 25 सितम्बर 2019, बाड़मेर -जैसलमेर - जोधपुर प्रवास के दौरान लिख रहा हूँ ।
यहां का एक बहुत ही प्रशिद्ध जंगली  घास गौ चारा 
जिसको यहां  के स्थानीय लोग अपनी भाषा में  शेवणघास बोलते हैं ।।
अब आपको इस शेवणघास की अद्भुत बातें या फिर यूं कहें कि 
इसकी  बड़ी अद्भुत महिमा के बारे में आपको बताने जा रहा हूँ ।
जिसको सुनकर आप आश्चर्य चकित रह जाएंगे । इस अद्भुत शेवणघास की जीवनी शक्ति बहुत ही अद्वितीय है /में इसको शब्दों में ब्यान नही कर सकता । लेकिन फिर भी आपको कुछ एक बातें इस शेवणघास के बारे में बताने जा रहा हूँ -जिसको आप सब बड़े ही ध्यान पूर्वक पढ़ें व मनन करें   ।
मित्रो मई -जून -जुलाई में जिस समय भीष्ण गर्मी में  तापमान 45 से 50 डिग्री व कई बार तो इससे भी ऊपर तक पहुंच जाता है ।।
कई -कई बार  तो  मित्रो पूरे वर्ष भर यहाँ तक दो से तीन वर्ष तक भी वर्षा नही होती  है ।
जिसके कारण मित्रों यहां पर अकाल पड़ जाता है।
दोस्तो सोचिए आप उस भयँकर स्थिति में इस  रेगिस्तान में दूर-दूर  जहां तक नजर जाती है वहां  कोई भी घास चारा नजर नही आता ।।क्यों कि उस सूर्य की तप्ति आग में सब घास फूस जलकर खत्म हो जातें हैं ।।
लेकिन  मित्रो उस कठिन समय में उस रेगिस्तान में   सिर्फ यही एकमात्र "शेवणघास" रेगिस्तान में खड़ा आपको दिखाई देगा ।
यही "शेवणघास" ही उस अकाल में सेंकडो- सेंकडो गोवंश को मरने से बचाने में एक दिव्य संजीवनी के रूप में खड़ा  रहता है ।
मित्रों - हालांकि ये  भी
उस समय उस भयँकर लू में सूखकर एक झुंड के  रूप में खड़ा रहता है ।।
गौमाता  जंगल मे आएगी व इसी शेवण घास के झुंड को आकर  अपना पेट भरेगी । और वो भी उसको तब तक खाती रहेगी जब तक  जड़ के अंतिम छोर तक वो खड़ा रहता है  तब तक यहां की गौमाता उसको बड़े चाव से खाती रहती है ।
 
अकाल के बाद जब वर्षा होती है 
तो ये शेवण घास का पौधा बिल्कुल हरा फूटने लगता है । इसकी नए-नए तने उग आते हैं ।और ये पौधा बढ़ते -बढ़ते फिर से दोबारा 4 से 5 फुट हो जाता है ।।


मित्रो ,बड़े ही आश्चर्य की बात की ये रेगिस्तान में भयंकर सूखे में  एकमात्र ऐसा घास जो मरकर फिर से जिंदा हो जाता है ।
यानी कि इसकी जीवनी शक्ति अद्भुत है अद्भुत ।


दोस्तों  आपकी  हमारा यही कहना हैं ,की जो भी गौशाला या गोपालक जहां पर चारे के अभाव बना रहता है । यदि वो इस शेवणघास को अपने इलाके की  भूमि एक बार भी लगा दे तो दोबारा इसको कभी भी लगाने की जरूरत ही नही पड़ेगी ।


महिमा: जब इस शेवणघास में इतनी जीवनी शक्ति है ,तो उस घास को खाकर जब गौमाता अपना दूध देगी तो उस दूध  व घी  में कितनी जीवनी शक्ति होगी 
इसका आप अंदाजा लगा सकते हैं ।
अंत में मेरा यही कहना है कि राजस्थान सरकार इस विलुप्त होते संजीवनी घास को बचाने की मुहिम चलाए  जिसके हजारों-हजारों गौधन  व अन्य जानवरों को  कितना भी भयंकर अकाल पड़े पर चारे  की कोई कमी नही आये ।।
जिससे सूखे से जूझ रही गोशालाओं को इस शेवण घास की जानकारी मिलें व वो इसको अपने जंगली एरिया में लगाये । ये शेवणघास की जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसको आगे शेयर जरूर करें ,जिससे ये जानकारी उन गोशालाओं तक पहुंचे जहां पर  अकाल की सिथति में गोवन्स चारे के बगैर मर जाते हैं ।


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