महाभारत युद्ध के दुष्परिणाम -डा मुमुक्षु आर्य

 वेदों का पठन पाठन बंद हो गया है, धर्म के नाम पर नाना प्रकार के अन्धविश्वास पाखंड व मत मतान्तरों का बोलबाला हो गया है , सस्ते में मोक्ष पाने की दुकानें सज गई हैं, गाय आदि  निर्दोष पशुओं व जानवरों को मार कर खाया जा रहा है, मन्दिर मस्जिद चर्च गुरुद्वारों का जाल विछ गया है, पण्डे पुजारी मौलवी पादरी पाखंडी व व्यापारी हो गये हैं , सच्चे ब्राह्मणों क्षत्रियों वैश्यों शुद्रों का अकाल पड़ गया है , ज्ञान देने वाले साधु संत विद्वान धन संग्रह करने में लगेे हैं , जिहाद के नाम पर इन्सानों के गले काटे जा रहे हैं , परमेश्वर की रंग बिरंगी काली कलूटी मूर्तियां बना कर उन्हें जल दूध तेल से नहलाया जा रहा है, उनमें प्राणप्रतिष्ठा का ढोंग किया जा रहा है, घरों में यज्ञ योग व गाय का स्थान धूप अगरवती व कुत्तों ने ले लिया है , दूध दही छाछ लस्सी पनीर खीर पूडे का स्थान चाय काफी कोल्ड ड्रिंक पिजा वर्गर चाऊमिन आमलेट ने ले लिया है, स्थान स्थान पर मांस अंडे बीडी सिगरेट शराब चाय व वेश्यालयों की दुकानें खुल गई हैं, बलात्कार की घटनाएं दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं । काश ! श्री कृष्ण जी ने युद्ध से पहले ही दुष्ट दुर्योधन दुशासन व शकुनि को अपने सुदर्शन चक्र से उड़ा दिया होता तो आज हमें ये दिन न देखने पड़ते ।


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