-->

डर के आगे मौत है। राजेश बैरागी

राजेश बैरागी-मैं डर गई थी।किससे?तुमसे।अपने आप से।
          यह रंजित किंतु सत्य को उजागर करने वाला संवाद राजकपूर की प्रसिद्ध फिल्म 'संगम' का है जिसमें एक पत्नी पति द्वारा देख लेने पर अपने पूर्व प्रेमी के पत्र को फाड़ देती है।कल जेवर (गौतमबुद्धनगर) के गांव गोपालगढ़ में आठ माह के मासूम बच्चे का शव ११ दिन बाद अनाज की टंकी से बरामद हुआ। प्रथमदृष्टया इस मामले में बच्चे की मां द्वारा बच्चे के शव को वहां छुपा देने की बात सामने आ रही है। क्या उस मां ने अपने आठ माह के बच्चे की हत्या की होगी?यह सवाल पोस्टमार्टम रिपोर्ट के गर्भ में छिपा है। जैसा कि मुझे लगता है कि जाने अनजाने में मां से हुई लापरवाही से बच्चे की जान चली गई। हड़बड़ी में उस मां ने तानों और लांछन से बचने के लिए शव को अनाज की टंकी में छुपा दिया। परंतु ११ दिन तक एक मां कैसे अपने दिल को पत्थर बना कर रह सकती है? यदि संगम फिल्म के उपरोक्त संवाद की रोशनी में देखें तो ऐसा होना असम्भव नहीं है। इस मामले का दूसरा पक्ष यह है कि उस मां की हड़बड़ी ने बच्चे को जबरन मौत के मुंह में धकेल दिया। हो सकता है कि यदि वह (यदि उसने मारा नहीं है तो) बच्चे को मरा समझकर छिपाने के बजाय उसकी चिकित्सा के लिए हाय-तौबा मचाती तो शायद बच्चे की जान बच जाती। सच्चाई क्या है हम नहीं जानते परंतु इस प्रकार की घटनाएं हमारे लिए सबक अवश्य हैं।( फ्यूचर लाईन टाइम्स हिंदी साप्ताहिक नौएडा)


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ