राजेश बैरागी-
बदले हुए समय में एक पूर्व गृह उर्फ वित्तमंत्री सीबीआई को क्या जवाब दे सकता है? स्मृति पर जोर डालें, गिरफ्तारी के बाद ईराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन को अमेरिका की या अमेरिका परस्त जांच एजेंसियों ने किस प्रकार एक्जामिन किया था। उसके मुंह में औजार डालकर दांत गिने गए थे। चिदंबरम के साथ देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी का बर्ताव कुछ ऐसा ही रहने वाला है। सत्ता के मद में चिदंबरम द्वारा किया गया धनार्जन उतना महत्वपूर्ण नहीं है। अन्यथा कर्नाटक के रेड्डी बंधुओं (भाजपा से संबद्ध) और डी के शिवकुमार (कांग्रेस से संबद्ध) को कौन नहीं जानता। ऐसे अनेक नाम हैं जिन्हें सीबीआई,ईडी खूब पहचानती हैं। चिदंबरम का पाप यह है कि वह समय का हिसाब नहीं रख सके। इसे राजनीति का गैंगवार कहा जा सकता है। हालांकि यह गैंगवार देश और समाज के हित में है।मरे कोई, है तो देश का अपराधी ही। स्वर्गीय इंदिरा गांधी इस मामले में बहुत स्पष्ट थीं। उन्हें जो पसंद नहीं था चाहे वह कांग्रेसी ही क्यों न हो उसकी खैर नहीं। मोदी और शाह विरोधियों को निपटा रहे हैं। अपनों को भी निपटाएं तो कुछ और बात होगी। ध्यान रखें समय का पहिया चलता रहता है। (फ्यूचर लाईन टाइम्स हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र)
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